नई दिल्ली। यूनाइटेड स्टेट एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) की नई रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 97 फीसदी रिटेल ट्रांजैक्शन अभी भी कैश पर आधारति है और पिछले तीन माह में केवल 29 फीसदी बैंक एकाउंट का उपयोग किया गया है। यह रिपोर्ट सरकार के कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने के प्रयासों और 2016 तक सभी सरकारी ट्रांजैक्शन को इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट में परिवर्तित करने की प्रतिबद्धता पर ग्रहण के समान है।
यूएसएआईडी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है पिछले तीन माह में केवल 29 फीसदी बैंक एकाउंट का उपयोग हुआ है। इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट मेथड्स जैसे डेबिट कार्ड और मोबाइल वॉलेट का उपयोग बहुत निम्न है। जबकि डिजिटाइजिंग पेमेंट्स पर लाभ स्पष्ट है, ऐसे में भारत जैसे कैश आधारित देश में उपभोक्ता और दुकानदार का व्यवहार बदलना मुश्किल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल इकोनॉमी की यह सबसे बड़ी बाधा है।
कार्ड ट्रांजैक्शन पर इन्सेंटिव का इंतजार
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा था कि देश में ब्लैक मनी को रोकने का एक रास्ता कैश ट्रांजैक्शन को कम करना है। उन्होंने वादा किया था कि कैश ट्रांजैक्शन को हतोत्साहित करने के लिए क्रेडिट और डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शन पर इन्सेंटिव दिया जाएगा। लेकिन अभी तक सरकार ने इस संबंध में कोई भी घोषणा नहीं की है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने आगामी बजट में क्रेडिट और डेबिट कार्ड पेमेंट पर इन्सेंटिव की घोषणा करने की मांग की है।
यूएसएआईडी ने सरकार को दिए सुझाव
यूएसएआईडी ने अपनी रिपोर्ट में सरकार को कई सुझाव भी दिए हैं, जिनकी मदद से कंज्यूमर के साथ ही साथ मचेंट्स को भी इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट पर इन्सेंटिव दिया जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जो कंज्यूमर डिजिटली भुगतान करता है वह और अधिक डिजिटली ट्रांजैक्शन कर सकता है। ऐसे में उसे सपोर्ट करने के लिए भारत सरकार को लगातार डिजिटाइजिंग बेनेफिट उसे देने चाहिए और उन संगठनों को भी इन्सेंटिव मिलना चाहिए, जो अपने कर्मचारियों को डिजिटली भुगतान करते हैं। इसके अलावा सरकार को पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए भी डिजिटल पेमेंट की सुविधा शुरू करनी चाहिए, यह ठीक वैसे ही हो जैसे प्राइवेट टैक्सी सर्विस ओला और उबर डिजिटल वॉलेट से भुगतान लेती हैं। इसके अलावा सरकार को इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांजैक्शन करने वाले कंज्यूमर को टैक्स इन्सेंटिव देना चाहिए। इसके अलावा अप-फ्रंट कॉस्ट मर्चेंट्स के लिए सबसे बड़ी परेशानी है। डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा देने के लिए बैंक और पेमेंट कंपनियों को अपफ्रंट फीस और डिवाइस इन्स्टॉलेशन चार्ज को खत्म करने पर विचार करना चाहिए।
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