निकेश अरोड़ा की कड़ी मेहनत का परिणाम था सॉफ्टबैंक का अध्यक्ष बनना, जानिए पूरी कहानी
निकेश की कड़ी मेहनत का ही परिणाम था कि 20 साल के करयिर में वह एक बड़ी कंपनी के अध्यक्ष बनने के साथ ही सबसे ज्यादा सैलरी पाने वालों की लिस्ट में आ गए।
नई दिल्ली। यह एक पूरी फिल्मी कहानी की तरह है। बनारस हिंदु विश्वविद्यालस से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद निकेश अरोड़ा ने विदेश में पढ़ाई के लिए खुद अपने पिता से 75,000 हजार रुपए उधार लिए। अमेरिका आकर अपना खर्च उठाने के लिए बर्गर बेचे और सिक्यूरिटी गार्ड का काम किया। उनकी यह कड़ी मेहनत बेकार नहीं गई। 20 साल के करियर के भीतर वह दुनिया की बड़ी और प्रमुख कंपनी के टॉप एक्जीक्यूटिव बनने के साथ ही दुनिया के तीसरे सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले एक्जीक्यूटिव बन गए।
गाजियाबाद में एयर फोर्स ऑफिसर के घर हुआ जन्म
निकेश अरोड़ा का जन्म 9 फरवरी 1968 को गाजियाबाद में हुआ था। उनके पिता एयर फोर्स ऑफिसर थे। निकेश ने 1989 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीएचयू) वाराणसी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बेचलर डिग्री हासिल की। उन्होंने बोस्टन कॉलेज से डिग्री हासिल की और नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी से एमबीए किया।
CEO बनने की चाह में दिया इस्तीफा
निकेश अरोड़ा दुनिया में सबसे ज्यादा सैलरी लेने वाली एक्जीक्यूटिव्स में से एक हैं। 21 जून को सॉफ्टबैंक ग्रुप से इस्तीफा देकर उन्होंने टेलीकॉम और टेक्नोलॉजी सेक्टर को बड़ा झटका दिया। इस इस्तीफे की वजह सॉफ्टबैंक के फाउंडर और सीईओ मासायोशी सन के उत्तराधिकारी योजना में हुए बदलाव को बताया जा रहा है। सन ने दो साल पहले अरोड़ा को अपना उत्तराधिकारी बताया था। वॉल स्ट्रीट जनरल से बातचीत में सन ने कहा कि मैं 60 साल की उम्र तक सीईओ की जिम्मेदारी संभालना चाहता था, लेकिन मैं अभी बहुत जवान हूं और इस पद पर अगले 5 से 10 साल तक और बने रहने की मुझमें ऊर्जा है। इसके बाद अरोड़ा ने कहा कि वह सीईओ-इन-वेटिंग नहीं बने रहना चाहते हैं, इसलिए वह अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं।
लेकिन कहानी कुछ और है
सॉफ्टबैंक की स्पेशल बोर्ड कमेटी द्वारा निवेशकों द्वारा अरोड़ा पर लगाए गए अरोपों से क्लीन चिट देने के एक दिन बाद ही अरोड़ा ने सॉफ्टबैंक ग्रुप के अध्यक्ष और सीओओ पद से इस्तीफा दे दिया। कुछ निवेशकों ने अरोड़ा के वर्क इथिक्स और परफोर्मेंस पर सवाल उठाए थे और उनके द्वारा किए गए निवेश में वित्तीय गड़बडि़यों के आरोप लगाए थे। इसकी जांच के लिए कंपनी ने फरवरी में एक स्पेशल बोर्ड कमेटी का गठन किया था। 20 जून को इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सॉफ्टबैंक में अरोड़ा का कार्यकाल बेदाग रहा है। गूगल में 10 साल काम करने के बाद अरोड़ा ने 2014 में सॉफ्टबैंक को ज्वाइन किया था। अब वह एक साल तक सॉफ्टबैंक के साथ एडवाइजर के तौर पर जुड़े रहेंगे।
6 महीने में 13.5 करोड़ डॉलर सैलरी
सॉफ्टबैंक में छह माह काम करने के बाद ही अरोड़ा दुनिया के तीसरे सबसे ज्यादा वेतन पाने वाले कार्यकारी बन गए। सितंबर 2014 से मार्च 2015 के दौरान अरोड़ा को 16.6 अरब येन (13.5 करोड़ डॉलर) का सैलरी पैकेज दिया गया। सन, जो कि जापान के सबसे अमीर व्यक्ति है, ने सार्वजनिक तौर पर अरोड़ा को अपना उत्तराधिकारी बताया था। अगस्त 2015 में अरोड़ा ने सॉफ्टबैंक में 48.3 करोड़ डॉलर का पर्सनल इन्वेस्टमेंट करने की घोषणा की। इसके लिए अरोड़ा ने उधार लेकर राशि जुटाई थी।
निवेश करना पड़ा भारी
सॉफ्टबैंक में इतनी बड़ी राशि निवेश करना कुछ निवेशकों को खटक गया। जनवरी 2016 में सॉफ्टबैंक के शेयरधारकों के एक ग्रुप ने पत्र लिखकर अरोड़ा के कार्य करने के तरीके और उनके प्रदर्शन पर सवाल उठाए। 11 पन्नों के इस पत्र में अरोड़ा के प्राइवेट इक्विटी कंपनियों से संबंध होने पर सवाल उठाए गए और कहा गया कि इन कंपनियों ने सॉफ्टबैंक के निवेश फैसलों को प्रभावित किया। इस पत्र में अरोड़ा की निवेश रणनीति को डार्टबोर्ड पर डार्ट फेंकने से ज्यादा कुछ नहीं बताया गया। निवेशकों ने Housing.com सहित कंपनियों में किए गए निवेश पर भी चिंता व्यक्त की। सॉफ्टबैंक द्वारा निवेश करने के तुरंत बाद ही यह भारतीय रियल एस्टेट पोर्टल मुश्किलों में घिर गया था। इस पत्र में सवाल पूछा गया था कि बोर्ड को यह पता चलने तक कि कुछ करना चाहिए निवेशकों को और कितनी बड़ी राशि बर्बाद करनी होगी?
बहुत से लोगों के लिए मेंटर हैं अरोड़ा
सॉफ्टबैंक के पोर्टफोलियो में अरोड़ा द्वारा जोड़ी गई कंपनियों के बारे में अधिकांश निवेशकों ने सवाल उठाए थे। उदाहरण के लिए, ग्रॉसरी डिलीवरी स्टार्टअप ग्रोफर्स, जिसमें सॉफ्टबैंक ने नवंबर 2015 में 12 करोड़ डॉलर का निवेश किया, अपने बिजनेस को विस्तार देने में विफल रही। जनवरी में इसने नौ शहरों में अपना ऑपरेशन बंद करने की घोषणा की। होटल रूम एग्रीगेटर ओयो रूम्स, जिसमें सॉफ्टबैंक ने 10 करोड़ डॉलर का निवेश किया, के बिजनेस मॉडल की आलोचना हो रही है। लेकिन दुनिया के सबसे तेजी से विकसित होते स्टार्टअप ईकोसिस्टम में सॉफ्टबैंक की मजबूत उपस्थिति का क्रेडिट अरोड़ा को ही जाता है। भारतीय स्टार्टअप्स में सॉफ्टबैंक का पैसा लगाने में अरोड़ा ने महत्वपूर्ण भुमिका निभाई है। सॉफ्टबैंक ने भारत में अब तक 2 अरब डॉलर का निवेश किया है, जिसमें से अधिकांश निवेश अरोड़ा के ज्वाइन करने के बाद हुआ है। ओला के को-फाउंडर और सीईओ भाविश अग्रवाल का कहना है कि निकेश उनके लिए व्यक्तिगत तौर पर एक बहुत अच्छे दोस्त, गाइड और मेंटर हैं। स्नैपडील के को-फाउंडर और सीईओ कुणाल बहन भी अरोड़ा को अपना मेंटर बताते हैं।