एनजीटी ने बंदरगाह गतिविधियों को गैर औद्योगिक कारोबार घोषित करने के आदेश पर रोक की बात दोहरायी
एनजीटी ने कहा कि परियोजना प्रस्तावक ने पर्यावरण मंजूरी के आवेदन में इस आशय की गलत जानकारी दी है कि पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र (ईएसजेड) अधिसूचना क्षेत्र पर लागू नहीं होती है।
नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पर्यावरण और वन मंत्रालय (एमओईएफ) के उस कार्यालय ज्ञापन (ओएम) पर रोक लगाने के अपने आदेश को दोहराया है, जिसमें बंदरगाहों, जेटी और निकर्षण कारोबारों को गैर-औद्योगिक कारोबार के तौर पर सूचीबद्ध किया गया है और कहा गया है कि यह "रेड" जोन के अंतर्गत नहीं आता है। जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट द्वारा अधिकरण के 15 जून के आदेश की समीक्षा के लिए दायर की गयी याचिका पर एनजीटी ने यह आदेश दिया। मूल आवेदन में उठाया गया मुद्दा महाराष्ट्र के पालघर जिले में पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र दहानू में कुछ गतिविधियों को प्रतिबंधित / विनियमित करने के संबंध में 1996 में उच्चतम न्यायालय द्वारा सुनाए गए फैसले के अनुपालन से संबंधित है।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए के गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि परियोजना प्रस्तावक ने पर्यावरण मंजूरी के आवेदन में इस आशय की गलत जानकारी दी है कि पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र (ईएसजेड) अधिसूचना क्षेत्र पर लागू नहीं होती है। पीठ ने दो अगस्त को दिए गए अपने आदेश में कहा कि वह 15 जून, 2021 को जारी किए गए आदेश को दोहराती है और समीक्षा याचिका का निपटान किया जाता है। इस आदेश में एनजीटी के अध्यक्ष ए के गोयल के नेतृत्व वाली एक पीठ ने कहा था कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा जारी कार्यालय ज्ञापन की दोबारा समीक्षा करने की और सवालों के घेरे में बने इलाके के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर बंदरगाह की स्थापना के प्रभाव का किसी विशेषज्ञ समिति द्वारा आकलन एवं मूल्यांकन करने की जरूरत है। समिति में कम से कम पांच प्रसिद्ध विशेषज्ञ होने चाहिए जिनमें समुद्री जीवविज्ञान/पारिस्थितिकी तंत्र और भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञ शामिल होंगे।
एनजीटी की पीठ ने कहा था, "दूसरे सदस्य बंदरगाहों या अन्य से जुड़े विशेषज्ञ आकलन समिति से हो सकते हैं। इस तरह के अध्ययन के पूरा होने और नया फैसला लिए जाने तक, दहानू तालुका के पर्यावरण रूप से संवेदनशील इलाके पर लागू होने वाला विवादित निर्देश एवं कार्यालय ज्ञापन प्रभाव में नहीं आ सकता। यह साफ किया जाता है कि कोई भी पीड़ित पक्ष इस मामले में लिए गए किसी भी नये फैसले को चुनौती दे सकता है।" एनजीटी मत्स्यकर्मियों के संघ, नेशनल फिशवर्कर्स फोरम द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था। याचिका में कहा गया था कि महाराष्ट्र के पालघर जिले का दहानू तालुका पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील इलाका है और इसलिए यहां ‘प्रतिबंधित श्रेणी’ के उद्योगों को मंजूरी नहीं दी जानी चाहिये।