नई दिल्ली। सरकार ने बुधवार को राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के समक्ष कहा कि जर्मनी की वाहन कंपनी फॉक्सवैगन को उत्सर्जन नियमों का उल्लंघन करने को लेकर दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। वहीं एनजीटी ने कंपनी से भारत में ऐसा कोई डीजल वाहन न बेचने का निर्देश दिया, जिसमें चकमा देने वाला उपकरण लगा हो।
जहां एनजीटी ने 11 जनवरी तक कार बनाने वाली कंपनी से हलफनामा देने को कहा है कि वह केवल उन्हीं वाहनों को बेचेगी, जिसमें उत्सर्जन नियमों का पूरी तरह पालन किया जा रहा हो। दूसरी ओर भारी उद्योग मंत्रालय ने कहा है कि वह उत्सर्जन नियमों के उल्लंघन को लेकर फॉक्सवैगन के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने पर विचार कर रहा है। चकमा देने वाला उपकरण डीजल इंजन में एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जो उत्सर्जन संबंधी परीक्षण के समय वाहन के प्रदर्शन में बदलाव कर गड़बड़ी करता है। इसका मकसद परीक्षण परिणाम को बेहतर करना है।
एनजीटी आदेश पर अपनी प्रतिक्रिया में फॉक्सवैगन ने अपने बयान में कहा कि उसकी कार में उत्सर्जन के संदर्भ में चकमा देने वाला ऐसा कोई उपकरण नहीं है और भारत में उसके वाहन भारत चरण-4 उत्सर्जन नियमों का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं। न्यायाधीश यूडी साल्वी की पीठ के समक्ष अपने हलफनामा में भारी उद्योग मंत्रालय ने कहा कि फॉक्सवैगन को भारत में वाहनों को वापस बुलाने की कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया गया। फॉक्सवैगन ने सूचना दी है कि वे सभी प्रभावित वाहनों को वापस मंगाएगी, जिसकी संख्या करीब 3.2 लाख है। विनिर्माता द्वारा वाहनों की घोषणा के संदर्भ में भारी उद्योग मंत्रालय ने मामले को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को सौंप दिया ताकि दंडात्मक प्रावधानों की जांच की जा सके और आगे की कार्रवाई के बारे में फैसला किया जा सके।
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