मुंबई। दशकों से कई भारतीय हर साल 182 दिन से अधिक देश से बाहर रहकर अपने आप को एनआरआई घोषित कर अपने धन को विदेशों में ले जाकर टैक्स चोरी कर रहे हैं। नॉन-रेसीडेंट इंडियन या एनआरआई का दर्जा उन्हें यह अनुमति देता है कि विदेशों में कानूनी ढंग से की गई कमाई से प्राप्त धन को वे विदेशी बैंक एकाउंट में रख सकें। लेकिन अब ऐसा करना आसान नहीं होगा।
कुछ दिन पहले, इनकम टैक्स विभाग ने टैक्स रिटर्न फॉर्म (ITR2) में एक नया प्रावधान जोड़ दिया है। जिसमें सभी एनआरआई को भारत से बाहर अपने सभी विदेशी बैंक एकाउंट्स की जानकारी देनी होगी। अधिकांश एनआरआई, वो भी जो सालों से देश से बाहर हैं, स्टॉक, प्रॉपर्टी और फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट जैसे बैंक डिपोजिट और बांड्स से प्राप्त आय को दिखाने के लिए भारत में टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं।
इस साल की शुरुआत से ही अब उन्हें अब अपने विदेशी बैंक एकाउंट्स, बैंक का नाम, देश जहां बैंक स्थित है के साथ ही साथ स्वीफ्ट कोड और इंटरनेशनल बैंक एकाउंट नंबर (आईबीएएन) की जानकारी टैक्स अधिकारियों को देनी होगी। स्वीफ्ट कोड बैंक की पहचान करने में मदद करता है, जबकि आईबीएएन एक अतिरिक्त नंबर है जो इंटरनेशनल पेमेंट करने या प्राप्त करने के लिए होता है।
अधिकांश देशों के साथ भारत ने सूचना साझा करने का समझौता किया है ऐसे में यदि कोई इस जानकारी को छुपाता है तो उसके खिलाफ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और प्रवर्तन निदेशालय मिलकर कार्रवाई कर सकते हैं। प्रवर्तन निदेशालय को ऐसे मामलों में मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत कार्रवाई करने का अधिकार है।
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