नई दिल्ली। एक बड़े बदलाव के तहत सरकार ने कानून के नए प्रावधानों को अमल में लाते हुए व्यापक आधार वाली छह सदस्यीय समिति की स्थापना की दिशा में पहल की है। अगस्त में अगली मौद्रिक समीक्षा में संभवत: यही समिति ब्याज दरों पर फैसला करेगी। बराबरी की स्थिति में रिजर्व बैंक के गवर्नर वोट कर सकेंगे।
मौजूदा प्रणाली के तहत रिजर्व बैंक के गवर्नर को मौद्रिक नीति पर समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने या अस्वीकार करने का पूरा अधिकार है। अब सरकार ने मौद्रिक नीति समिति के गठन की प्रक्रिया शुरु की है जो केंद्रीय बैंक से ब्याज दरें तय करने का काम अपने हाथ में लेगी। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, सरकार ने 27 जून, 2016 को एमपीसी के गठन के लिए संशोधित आरबीआई कानून के प्रावधानों को लागू करने का फैसला किया है। इससे एमपीसी को सांविधिक आधार दिया जा सकेगा।
एमपीसी बहुमत के आधार पर ब्याज दरें तय करेगी। बराबर मतों की स्थिति में रिजर्व बैंक गवर्नर मत डाल सकेंगे। अधिकारियों ने कहा कि अगले महीने तक एमपीसी अस्तित्व में आ जाएगी। नौ अगस्त को मौद्रिक समीक्षा संभवत: इसी समिति द्वारा की जाएगी। यह मौद्रिक समीक्षा रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन की आखिरी समीक्षा होगी। उनका तीन साल कार्यकाल 4 सितंबर को पूरा हो रहा है। एमपीसी के छह सदस्यों में तीन रिजर्व बैंक से होंगे गवर्नर समिति के पदेन चेयरपर्सन होंगे। इसके अलावा एक डिप्टी गवर्नर तथा एक कार्यकारी निदेशक समिति का सदस्य होगा। अन्य तीन सदस्यों की नियुक्ति कैबिनेट सचिव की अगुवाई वाले खोज एवं चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी।
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