नई दिल्ली। किसान यदि धान के बजाये बाजरा की खेती करते हैं तो उन्हें अधिक फायदा हो सकता है। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने बुधवार को कहा कि पानी की खपत को कम करने के लिए चावल की खेती की जगह बाजरे की खेती की ओर कदम बढ़ाने की जरूरत है।
अमिताभ कांत ने कहा कि बाजरा पोषक तत्वों और सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर होता है, विशेष रूप से प्रोटीन और कैल्शियम इसमें प्रचूर रूप से होता है। इसलिए बाजरा का इस्तेमाल महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षा कवच योजनाओं में किया जाना चाहिए। उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि बाजरा के प्रचार के बारे में राज्यों के साथ सकारात्मक बातचीत हुई है। बाजरा विशेष रूप से प्रोटीन और कैल्शियम के अलावा सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर और समृद्ध होते हैं।
कांत नेशनल कंसल्टेशन ऑन प्रमोशन ऑफ मिलेट्स पर हुई वर्चुअल बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। इस बैठक में राज्यों के प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव साझा किए और देश में पोषण सुरक्षा को बढ़ावा देने की योजनाओं में बाजरे को शामिल करने के संभावित तरीकों पर चर्चा की।
बाजरा एक खरीफ फसल है। बाजरे को मोटे अनाज वाली फसल माना जाता है। भारत में इसकी खेती राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात में सबसे ज्यादा होती है। इनके अलावा और भी कई राज्यों में बाजरे की खेती की जा रही है। बाजरे की खेती में मेहनत कम लगती है और लागत भी न्यूनतम होती है। इससे किसानों को अच्छा फायदा होता है।
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