नई दिल्ली। राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने गुरुवार को बैंकों को कर्ज में डूबे आईएलएंडएफएस और समूह की अन्य कंपनियों के खातों को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) घोषित करने को मंजूरी दे दी है।
एनसीएलएटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की अगुवाई वाली पीठ ने बैंकों पर खातों को एनपीए घोषित करने पर लगी रोक को हटा दिया है। हालांकि, न्यायाधिकरण ने स्पष्ट किया है कि बैंक आईएलएंडएफएस के खातों को एनपीए घोषित कर सकते हैं लेकिन वसूली प्रक्रिया और धन निकासी शुरू नहीं कर सकते।
पीठ ने कहा कि जब तक आईएलएंडएफएस और उसकी समूह की कंपनियों के मामले में कोई समाधान नहीं निकल आता है तब तक कर्जदाताओं को समर्थन जारी रखना होगा। मौजूदा समय में, इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंसियल सर्विसेज (आईएलएंडएफएस) समूह की कंपनियों पर कुल मिलाकर 90,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है। ये समाधान प्रक्रिया से गुजर रही हैं।
एनसीएलएटी ने फरवरी में बैंकों को बगैर न्यायाधिकरण की मंजूरी लिए समूह के खातों को एनपीए घोषित करने से रोक दिया था।
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