नई दिल्ली: 2015 के दौरान देश में दालों की कीमतों में आई बेतहाशा तेजी के लिए कमोडिटी एक्सचेंज NCDEX पर दाल कारोबारियों और मल्टीनेशनल कंपनियों के साथ मिलीभगत का जो आरोप लगा है उसे एक्सचेंज ने पूरी तरह से नकारा है। एक्सचेंज ने कहा है कि 2015 में दाल कीमतों में आई तेजी की जांच के लिए आयकर विभाग जो सर्वे कर रहा था एक्सचेंज उसमें सहयोग कर रही थी।
एक्सचेंज ने प्रेस रिलीज जारी कर रहा है कि उसके प्लेटफॉर्म पर तुअर और उड़द का वायदा कारोबार जनवरी 2007 से बंद है और 2015 में उसके प्लेटफॉर्म पर सिर्फ चने का वायदा कारोबार होता था और उसे भी जुलाई 2016 में बंद कर दिया गया है। एक्सचेंज ने कहा है कि 2012 से लेकर 2016 तक सभी दालों की कीमतों में तेजी आई है लेकिन चने का भाव उतना महंगा नहीं हुआ है जितनी महंगाई अन्य दालों मे देखने को मिली है। NCDEX के मुताबिक एक्सचेंज के बेहतर प्राइस डिस्कवरी सिस्टम की वजह से चने की कीमतें नियंत्रण में रही हैं।
दालों के फारवर्ड सौदों पर एक्सचेंज का कहना है कि उसके प्लेटफॉर्म पर तुअर और उड़द के फारवर्ड सौदों की शुरुआत फरवरी 2015 में हुई थी लेकिन ट्रेडिंग उपलब्ध होने के बावजूद जनवरी 2016 तक तुअर और उड़द के फारवर्ड सौदों में एक भी ट्रेड नहीं हो सका है। जनवरी 2016 में फारवर्ड ट्रेडिंग पर रोक लगा दी गई थी।
गौरतलब है कि एक निजी इकोनॉमिक और पॉलिटिकल वीकली ने आरोप लगाए हैं कि 2015 में दालों की कीमतों में जो तेजी आई थी उसके पीछे की वजह सट्टेबाजी थी। निजी समाचार वेबसाइट द वायर ने इकोनॉमिक और पॉलिटिकल वीकली की रिपोर्ट को छापा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 में दालों की कीमतों को बढ़ाने में कमोडिटी एक्सचेंज NCDEX ने दाल कारोबार से जुड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां, स्थानीय डीलर और कई स्थानीय कारोबारियों के कार्टल की सहायता की थी।
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