नई दिल्ली। सरकार जल्द ही एक राष्टूीय लाजिस्टिक्स नीति जारी करेगी। देशभर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक माल के आसानी से आवागमन को बढ़ावा देने के लिये यह नीति लाई जायेगी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बुधवार को यह कहा। विशेष सचिव (लाजिस्टिक्स) पवन कुमार अग्रवाल ने कहा कि नीति को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसे सभी केन्द्रीय मंत्रालयों और अन्य पक्षकारों के साथ व्यापक विचार विमर्श के साथ तैयार किया गया है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘विचार विमर्श की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है। अब इस पर केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी लेने की जरूरत है। यह जल्द ही जारी होगी।’’
अग्रवाल ने कहा कि इस लाजिस्टिक्स नीति का मकसद पांच साल में देश में लाजिस्टिक की लागत को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 13 प्रतिशत से कम करके आठ प्रतिशत पर लाना है। उन्होंने कहा कि लाजिस्टिक नीति के लक्ष्यों को हासिल करने के लिये एक व्यापक संस्थागत व्यवस्था को स्थापित किया जा रहा है। नीति के प्रभावी समन्वय और क्रियान्वयन के लिये एक राष्ट्रीय लाजिस्टिक्स परिषद (एनएलसी) सेंट्रल एडवाइजरी कमेटी आन लाजिस्टिक्स (सीएसीएल) और एक सचिवों के प्राधिकृत समूह बनाये जाने की योजना है। राज्यों के स्तर पर नीति के समग्र विकास को लेकर इस व्यवस्था में राज्य स्तरीय लाजिस्टिक्स समन्वय समिति (एसएलसीसी) को भी बनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि एक एकीकृत कानूनी ढांचे के जरिये ‘‘एक राष्ट्र-- एक अनुबंध’’ की व्यवस्था को हासिल करने के लिये एक नियामकीय परिवेश को लेकर पक्षकारों के साथ विचार विमर्श किया जा रहा है। यह समूची व्यवस्था एक राष्ट्रीय लॉजिस्टिक कानून के तहत की जायेगी।
दरअसल सरकारी रिपोर्ट्स के मुताबिक देश में लॉजिस्टिक्स का लागत काफी ज्यादा है, जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था पर भी दबाब बढ़ता है। सरकार बेहतर लॉजिस्टिक्स के लिए सड़कों, रेलवे को और बेहतर के साथ , वेयरहाउस और गोदाम से इंफ्रास्ट्रक्चर को भी विकसित कर रही है।
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