नई दिल्ली। आईटी उद्योगों के संगठन नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेस कंपनीज (नास्कॉम) ने राज्य सरकारों द्वारा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के जरिये खरीदारी करने पर एंट्री टैक्स लगाने के विधेयक का विरोध किया है। गुजरात के बाद असम, ओडीशा, उत्तराखंड, राजस्थान, मिजोरम और हिमाचल प्रदेश में भी ई-कॉमर्स खरीदारी पर एंट्री टैक्स लगाया गया है। नास्कॉम का कहना है कि राज्य सरकारें ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए भारत के भीतर बाजार तक पहुंच बनाने में बाधा पैदा कर रही हैं।
नास्कॉम ने बयान में कहा कि एंट्री टैक्स की वजह से ई-कॉमर्स और लॉजिस्टिक्स कंपनियों तथा गुजरात के बाहर के रिटेलरों के लिए उल्लेखनीय व्यावसायिक चुनौतियां पैदा करेगा और यह फ्री इंटर-स्टेट कारोबार की राह में अड़चन बनेगा। इसी तरह का टैक्स पंजाब, उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में भी लगाने का प्रस्ताव है। नास्कॉम के अध्यक्ष आर चंद्रशेखर ने कहा, सरकार को क्रेता और विक्रेता को बाधारहित सीमा पार पहुंच उपलब्ध करानी चाहिए और यह कारोबार सुगमता के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है। उन्होंने कहा कि इस तरह के टैक्स से कारोबार की दक्षता तो प्रभावित होती ही है, साथ ही इससे उपभोक्ताओं के लिए विकल्प भी सीमित होते हैं।
भारत की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में राज्य सरकार के ऑनलाइन खरीदारी पर 10 फीसदी एंट्री टैक्स लगाने के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी। इस मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए ई-कॉमर्स कंपनियों को राहत दी है। कोलकाता हाईकोर्ट से भी कंपनी को इसी तरह की राहत मिली है। नास्कॉम ने कहा है कि राज्यों द्वारा एंट्री टैक्स लगाए जाने से सबसे ज्यादा प्रभावित सूक्ष्म व लघु उद्यमी होंगे न कि ग्राहक।
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