नारेडको ने बजट में रियल एस्टेट क्षेत्र को प्रोत्साहन के लिए कई सुझाव दिए
आवास ऋण के ब्याज पर कटौती की मौजूदा दो लाख रुपये की सीमा को बढ़ाकर पांच लाख करने, सस्ते घरों के लिए मूल्य के 90 प्रतिशत तक कर्ज की सुविधा देने और किराये के मकानों के प्रोत्साहन के लिए किराया आय पर कर कटौती जैसे सुझाव
नई दिल्ली। रियल एस्टेट क्षेत्र के निकाय नारेडको ने आगामी बजट में रियल एस्टेट क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार से कहा है कि आयकर छूट के लिए आवास ऋण के ब्याज पर कटौती की मौजूदा दो लाख रुपये की सीमा को बढ़ाकर पांच लाख किया जाए। नारेडको ने सस्ते घरों के लिए मूल्य के 90 प्रतिशत तक कर्ज की सुविधा देने और किराये के मकानों के प्रोत्साहन के लिए किराया आय पर कर कटौती 50 प्रतिशत तक रखने जैसे कई सुझाव सरकार को बृहस्पतिवार को दिए। संगठन ने विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) के क्षेत्र में सुधार और समग्र विस्तार की जरूरत पर बल देते हुए कहा है कि इसमें रियल एस्टेट क्षेत्र को विदेशी वाणिज्यक कर्ज लेने की छूट दी जाए।
नारेडको के राष्ट्रीय अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने वीडियो कांफ्रेस के जरिये प्रेस कांफ्रेंस में संगठन के बजट संबंधी सुझावों की जानकारी देते हुए कहा, “कोविड-19 महामारी ने वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित किया है और भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रहा है।’’ उन्होंने कहा कि घर खरीदारों को प्रोत्साहन देने के लिए आवास ऋण के ब्याज में कटौती को आयकर कानून 1961 की धारा 24 के तहत दो लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये किया जाना चाहिए। नारेडको की सिफारिश है कि 30 लाख रुपये या उससे कम के सस्ते घरों के लिए उनके कर्ज का मूल्य के साथ अनुपात (एलटीवी) बढ़ाकर 90 प्रतिशत तक किया जाए और इसी सुविधा का एमआईजी और एचआईजी तक भी विस्तार किया जाए। नारेडको ने कहा है कि रेंटल हाउसिंग को बढ़ावा देने के लिए वार्षिक किराये की आय पर (रखरखाव के उद्देश्य से खर्च) की कटौती की दर को 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया जाना चाहिए।
नारेडको ने कहा कि रियल एस्टेट क्षेत्र की मदद के लिए 25,000 करोड़ रुपये के कोष की स्थापना की प्रशंसनीय पहल को सभी ने सराहा है। हालांकि, इस तरह के और अधिक दबाव कोषों को अनुमति देने से विभिन्न मुश्किलों में घिरी और अटकी परियोजनाओं के लिए आखिरी चरण तक के लिए वित्तपोषण की सुविधा मिलेगी। हीरानंदानी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के तहत घोषित वित्तीय प्रोत्साहन योजनाओं ने उपभोक्ता मांग को नए सिरे से जन्म दिया है, जिसके कारण भारतीय अर्थव्यवस्था और रियल एस्टेट क्षेत्रों में तेजी से वापसी की शुरुआत हुई है। कर तार्किकरण, अतिरिक्त दबाव कोष और पर्याप्त तरलता इस गति को बनाए रखेंगे और भारत को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर करेंगे। नारेडको ने कहा कि रियल एस्टेट नौकरियां प्रदान करने वाला एक प्रमुख क्षेत्र है। साथ ही सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इसका योगदान सात प्रतिशत है।