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मुंबई हवाई अड्डा हिस्सेदारी खरीद मामला : अडाणी समूह ने जीवीके और विमानन मंत्रालय को अदालत में घसीटा

अडाणी समूह ने जीवीके समूह संचालित मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (मायल) के शेयरधारकों और विमानन मंत्रालय को बंबई उच्च न्यायालय में घसीटा है। समूह ने हवाई अड्डे में अफ्रीकी कंपनी बिडवेस्ट की हिस्सेदारी को खरीदने की अनुमति देने के लिए शेयरधारकों समेत मंत्रालय को निर्देश देने की मांग की है।

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मुंबई। अडाणी समूह ने जीवीके समूह संचालित मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (मायल) के शेयरधारकों और विमानन मंत्रालय को बंबई उच्च न्यायालय में घसीटा है। समूह ने हवाई अड्डे में अफ्रीकी कंपनी बिडवेस्ट की हिस्सेदारी को खरीदने की अनुमति देने के लिए शेयरधारकों समेत मंत्रालय को निर्देश देने की मांग की है।

मुंबई हवाई अड्डे में दक्षिण अफ्रीका की कंपनी बिड सर्विसेज डिवीजन मॉरीशस या बिडवेस्ट की 13.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसके अलावा अन्य शेयरधारक एसीएसए ग्लोबल (10 प्रतिशत), भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (26 प्रतिशत) और जीवीके एयरपोर्ट होल्डिंग्स (50.5 प्रतिशत) हैं। जीवीके एयरपोर्ट 50.5 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ बहुलांश हिस्साधारक है। याचिका में शेयरधारकों समेत विमानन मंत्रालय को प्रतिवादी बनाया है। बिडवेस्ट ने हवाई अड्डे में पूरी हिस्सेदारी 1,248 करोड़ रुपए यानी 77 रुपए प्रति शेयर के भाव पर अडाणी समूह को बेचने के लिए करार किया था। समूह ने एसीएसए की हिस्सेदारी खरीदने की भी पेशकश की थी। अ

डाणी समूह ने चार सितंबर को दायर याचिका में दावा किया कि बिडवेस्ट के साथ पांच मार्च 2019 को हुआ उसका शेयर खरीद समझौता वैध, निर्वाह योग्य और बाध्यकारी है। इसमें कहा गया है कि यह याचिका वादी और बिडवेस्ट के बीच 1,62,000,000 शेयरों की पूरी हिस्सेदारी को खरीदने के लिए हुए समझौते के आधार पर दायर किया जा रहा है। यह मायल की पूरी शेयर पूंजी का 13.5 प्रतिशत है। अडाणी समूह ने दक्षिण अफ्रीकी कंपनी और मायल के अन्य शेयरधारकों को समझौते को लागू करने के लिए आवश्यक सभी कदम उठाए जाने और प्रक्रिया के संदर्भ में किसी तीसरे पक्ष के अधिकार को सृजित नहीं करने का कंपनी को निर्देश दिए जा ने की मांग की है।

याचिका के मुताबिक, जीवीके ने राइट ऑफ फर्स्ट रिफ्यूजल (पहले बोली लगाने या न लगाने के अधिकार) का उपयोग कर लिया है और उसकी 30 दिन की मियाद चार अप्रैल को खत्म हो चुकी है। बिडवेस्ट ने अप्रैल में जीवीके और एसीएसए ग्लोबल समेत भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को नोटिस भेजते हुए कहा था कि वह शेयरों को हस्तांतरित करने का तैयार है। ऐसा मालूम होता है कि शेयर खरीदने के लिए शेयरधारकों के बीच हुए समझौते के खंड 3.7 के तहत जीवीके ने अपने अधिकार का इस्तेमाल किया।

हालांकि, जीवीके समझौते में निर्धारित समय में शेयर खरीदने में नाकाम रहा। अडाणी समूह ने कहा है कि जीवीके ने दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया और बिडवेस्ट को अपने शेयर जीवीके के अलावा किसी अन्य को बेचने से रोकने की मांग की। हालांकि, दिल्ली उच्च न्यायाल ने 2 जुलाई को यह कहते हुए याचिका खारिज कर दिया थी कि कंपनी ने इस सौदे में रुचि नहीं दिखाई है। बाद में खंडपीठ ने इस विवाद को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के लिए भेज दिया था। इसके बाद जीवीके ने सौदे को पूरा करने के लिए 30 सितंबर तक का समय मांगा है, जिसे बिडवेस्ट ने देने से मना कर दिया है।

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