नई दिल्ली। आइडिया सेल्युलर के बोर्ड ने वोडाफोन के साथ विलय के बाद अस्तित्व में आने वाली नई संयुक्त कंपनी के लिए वोडाफोन आइडिया लिमिटेड नाम रखने का प्रस्ताव किया है। इस प्रस्ताव पर शेयरधारकों की मंजूरी लेने के लिए 26 जून को एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी मीटिंग (ईजीएम) बुलाई गई है। भारत की दूसरी और तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनियों का विलय अब पूरा होने के नजदीक है।
ईजीएम में बोर्ड के नॉन कन्वर्टिबल सिक्यूरिटीज के जरिये 15,000 करोड़ रुपए जुटाने की योजना पर भी विचार किया जाएगा। इस राशि का उपयोग कर्ज चुकाने में किया जा सकता है। रिलायंस जियो और भारती एयरटेल के साथ कड़ी टक्कर लेने के लिए संयुक्त कंपनी अपनी बैलेंस शीट को मजबूत बनाने पर जोर दे रही है।
वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर दोनों देश में सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी बनाने के लिए अपने-अपने ऑपरेशन का विलय करने के अंतिम चरण में हैं और नियामकीय मंजूरियां हासिल करने की प्रक्रिया में लगे हैं। 42 प्रतिशत कस्टमर मार्केट शेयर और 37 प्रतिशत रेवेन्यू मार्केट शेयर के साथ यह देश की सबसे बड़ी कंपनी होगी।
नियामकीय सूचना में कुमार मंगलम बिड़ला की कंपनी ने कहा है कि सभी नियामकीय मंजूरियां मिलने और रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज से नया सर्टिफिकेट मिलने के बाद पुराना नाम आइडिया सेल्युलर लिमिटेड के स्थान पर नया नाम वोडाफोन आइडिया लिमिटेड होगा। आइडिया सेल्युलर पिछले कुछ महीन से धीरे-धीरे धन जुटाने में जुटी हुई है और विश्लेषकों के अनुसार आइडिया-वोडाफोन विलय के बाद बनने वाले नई इकाई को नया निवेश करने की जरूरत होगी और कर्ज का बोझ भी कम करना होगा। मार्च अंत तक दोनों कंपनियों पर संयुक्तरूप से 1,14,000 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है।
Latest Business News