नई दिल्ली। भारत के सबसे अमीर आदमी मुकेश अंबानी के टेलीकॉम सेक्टर में प्रवेश के बाद शुरू हुई टेलीकॉम प्राइस वॉर अभी कम से कम एक साल या इससे अधिक समय तक जारी रहेगी। कुछ लोगों का कहना है कि रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड जब तक अपने सब्सक्राइबर्स की संख्या वर्तमान संख्या से दोगुना नहीं कर लेती, तब तक यह प्राइस वॉर जारी रहेगी। ब्लूमबर्ग इंटेलीजेंस के विश्लेषण कुणाल अग्रवाल का कहना है कि अंबानी की टेलीकॉम यूनिट अपनी कीमत बढ़ाने से पहले अपने सब्सक्राइबर्स की संख्या 40 करोड़ करना चाहेगी।
अग्रवाल ने कहा कि हमें उम्मीद है कि भारत के टेलीकॉम सेक्टर में गला काट प्रतियोगिता और कमजोर प्रति यूजर औसत राजस्व अगले एक और दो सालों तक बना रहेगा। इस वजह से अन्य घरेलू टेलीकॉम कंपनियों की बैलेंस शीट की हालत और खराब हो सकती है।
रिलायंस जियो, जिसने फ्री कॉल्स और सस्ते डाटा की दम पर अपने प्रतिस्पर्धियों को विलय करने या सेक्टर से बाहर निकलने पर मजबूर किया, ने 2016 में अपनी लॉन्चिंग के बाद से अब तक 21.5 करोड़ सब्सक्राइर्ब्स हासिल कर लिए हैं। अग्रवाल का अनुमान है कि जियो का लक्ष्य अब बाजार में नेतृत्वकारी स्थिति को हासिल करना है। भारत में अभी 1.13 अबर मोबाइल यूजर्स हैं, जिनके अगले दो-तीन साल में बढ़कर 1.20 अरब होने की उम्मीद है।
जियो का मार्केट शेयर मई में बढ़कर 18.2 प्रतिशत हो गया, जो एक साल पहले 10 प्रतिशत था। रिलायंस जियो ने इस पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। नेतृत्वकारी स्थिति हासिल करने के लिए रिलायंस जियो, भारती एयरटेल लिमिटेड और प्रस्तावित वोडाफोन आइडिया लिमिटेड के बीच लड़ाई होगी। इन तीनों कंपनियों को नंबर वन बनने के लिए कम से कम 33 प्रतिशत सब्सक्राइर्ब्स हिस्सेदारी हासिल करनी होगी। रिलायंस जियो ने 40 करोड़ यूजर्स पर प्रति यूजर औसत राजस्व बढ़ाने का लक्ष्य तय किया है। ऐसे में रिलायंस जियो को अभी 18.5 करोड़ और यूजर्स की आवश्यकता है।
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