नई दिल्ली। सरकार और टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई की सख्ती का असर टेलीकॉम कंपनियों पर होता नजर नहीं आ रहा है। कॉल ड्रॉप के मामले में ज्यादातर ऑपरेटर गुणवत्ता के बेंचमार्क पर विफल साबित हुए हैं। ट्राई ने दिल्ली ड्राइव टेस्ट के नतीजे जारी किए है जिसमें अधिकतर कंपनियां फेल हो गईं हैं। रेगुलेटर ने 3 से 6 मई के बीच दिल्ली के विभिन्न इलाकों में 600 किलोमीटर का ड्राइव टेस्ट कर कॉल ड्रॉप की स्थिति जानने की कोशिश की जिसके नतीजे बेहद चौंकाने वाले आए। कुछ टेलीकॉम कंपनियों को छोड़कर ज्यादातर कॉल ड्रॉप टेस्ट में फेल हो गई। इतना ही नहीं जनवरी के मुकाबले जून में कॉल ड्रॉप की समस्या बढ़ी है। हालांकि टेलीकॉम इंडस्ट्री बॉडी सीओएआई ने दिल्ली के लिए किए गए ड्राइव टेस्ट को खारिज कर दिया है।
2G, 3G और CDMA का हुआ टेस्ट
दिल्ली में ट्राई ने सभी टेलीकॉम ऑपरेटरों के 2G, 3G और CDMA नेटवर्क को टेस्ट किया। नियम के मुताबिक, जिन कंपनियों का कॉल ड्राप रेट 2 फीसदी या इससे कम रहता है, वो पास होता है। वहीं 2 फीसदी से अधिक कॉल ड्राप होने पर कंपनी को फेल माना जाता है। दिल्ली के बाद ट्राई जल्द 12 अन्य शहरों में भी ड्राइव टेस्ट करने की तैयारी कर रहा है।
कौन सी कंपनी हुई पास और कौन फेल
ट्राई ने मांगा जुर्माना लगाने का अधिकार
कॉल ड्रॉप की बढ़ती समस्या के बीच भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने सरकार से उसे मोबाइल ऑपरेटरों पर जुर्माना लगाने का अधिकार देने की मांग की है। ट्राई के सचिव सुधीर गुप्ता ने कहा, उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में निष्कर्ष दिया है कि ट्राई के पास कॉल ड्रॉप के लिए ऑपरेटरों पर जुर्माना लगाने का अधिकार नहीं है। हम दूरसंचार विभाग को पत्र लिखकर ट्राई कानून में संशोधन के लिए कहेंगे, जिससे हमें अधिक अधिकार मिल सकें।
तस्वीरों में जानिए 4जी प्लान
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ड्राइव टेस्ट का ये है मतलब
ड्राइव टेस्ट एक प्रक्रिया है जिसमे मोबाइल नेटवर्क की सर्विस क्वालिटी की जांची की जाती है। किसी मोटर वाहन में उपकरण लगाकर मोबाइल नेटवर्क की विभिन्न मापदंडों पर जांच की जाती है। आसान शब्दों में कह सकते हैं की जिस तरह कार में चलने पर मोबाइल नेटवर्क मिलता है, उसी तरह की स्थिति बनाकर जांच की जाती है। इसी टेस्ट में टेलीकॉम कंपनियां फेल हो गईं हैं।
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