नई दिल्ली। मूडीज इन्वेस्टर सर्विसेस ने सोमवार को भारत के बैंकिंग सिस्टम को लेकर अपना आउटलुक ‘निगेटिव’ से अपग्रेड कर ‘स्टेबल’ कर दिया है। मूडीज का मानना है कि देश में बैंकों के लिए ऑपरेटिंग एनवायरमेंट में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है, जिससे भविष्य में बैंकों का एनपीए (खराब लोन) नहीं बढ़ेगा। मूडीज ने नवंबर 2011 में बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता खराब होने के चलते इसे निगेटिव आउटलुक दिया था।
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मूडीज के वाइस प्रेसिडेंट और सीनियन क्रेडिट ऑफिसर श्रीकांत वदलामनी ने कहा कि भारत के बैंकिंग सेक्टर के लिए यह स्टेबल आउटलुक अगले 12-18 महीने के लिए है। उन्होंने कहा कि इस आउटलुक से हमें उम्मीद है कि धीरे-धीरे बैंकों का ऑपरेटिंग एनवायरमेंट सुधरेगा और इससे खराब लोन की समस्या भी आगे नहीं बढ़ेगी। बैंकिंग सिस्टम आउटलुक-इंडिया: ग्रेजुअल इम्प्रूवमेंट इन ऑपरेटिंग एनवारमेंट ड्राइव्स स्टेबल आउटलुक नामक इस रिपोर्ट में मूडीज ने कहा है कि स्टेबल आउटलुक पांच कारकों के आधार पर दिया गया है। यह कारक हैं ऑपरेटिंग एनवारमेंट में सुधार, संपत्ति जोखिम और पूंजी में स्थिरता, स्थिर फंडिंग और तरलता। इसके अलावा स्थिर मुनाफा और क्षमता तथा सरकारी सहयोग ने भी आउटलुक को अपग्रेड करने में मददगार भूमिका निभाई है। मूडीज का अनुमान है कि 2015 और 2016 में भारत की जीडीपी ग्रोथ तकरीबन 7.5 फीसदी रहेगी।
मूडीज ने कहा है कि हालांकि, सरकारी बैंकों में पूंजी की स्थिति निम्म है और सरकार ने अगले चार साल में सरकारी बैंकों में 70,000 करोड़ रुपए की पूंजी निवेश की घोषणा की है, यह भी एक सकारात्मक कदम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह राशि भी बैंकों की पूंजी आवश्यकता के हिसाब से कम है। मूडीज ने कहा है कि भारत में 15 बैंकों के पास कुल बैंकिंग सिस्टम की संपत्ति का 70 फीसदी हिस्सा है। इनमें से चार बैंक प्राइवेट सेक्टर के हैं, जबकि 11 बैंक सार्वजनिक क्षेत्र के हैं।
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