नई दिल्ली। मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने बुधवार को एक बार फिर मोदी सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि भारत में आर्थिक सुधारों की रफ्तार धीमी पड़ने से निवेश प्रभावित हो सकता है और यह भारतीय कंपनियों के लिए अच्छा नहीं होगा। हालांकि मूडीज ने यह भी कहा है कि ज्यादातर कंपनियों को देश की मजबूत आर्थिक फंडामेंट्ल्स और नरम मौद्रिक नीति का फायदा भी होगा।
मूडीज ने बुधवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कमजोर वैश्विक रुख और अमेरिका द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी करने का असर भी भारतीय कंपनियों पर पड़ सकता है। मूडीज ने कहा कि जीएसटी और भूमि अधिग्रहरण कानून जैसे प्रमुख सुधारों को लागू करने में सरकार की नाकामी से निवेश में बाधा आ सकती है और इससे यह संकेत जाएगा कि देश में सुधार की प्रक्रिया मंद पड़ रही है।
मूडीज के उपाध्यक्ष और सीनियर क्रेडिट ऑफिसर विकास हालन ने कहा कि वित्त वर्ष 2016-17 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.5 फीसदी रहने की उम्मीद है और मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में तेजी से बिजनेस ग्रोथ को बड़ा सहारा मिलेगा। उन्होंने कहा कि इन अनुकूल घरेलू स्थितियों के बावजूद सुधार की गति कम होने से भारत की कंपनियों के लिए चुनौती खड़ी हो सकती है। मोदी सरकार इस साल अब तक जीसटी और भूमि अधिग्रहण विधेयक जैसे सुधार संबंधी प्रमुख विधेयकों को पारित कराने में नाकाम रही है।
मूडीज की रिपोर्ट पर हुआ था हंगामा
इससे पहले 30 अक्टूबर को मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में बीफ और दूसरे विवादो के चलते भारत की साख पर खतरे की ओर इशारा किया था। इसके बाद सरकार ने स्वयं आगे आकर इस रिपोर्ट का खंडन किया था और इसे मानने से इंकार किया था। लेकिन बाद में मूडीज ने अपनी रिपोर्ट को सही बताने का दावा किया था। इंडिया आउटलुक सर्चिंग फॉर पोटेंशियल शीर्षक वाली रिपोर्ट में देश के भीतर रिफॉर्म की सुस्त रफ्तार पर भी चिंता जताई गई थी। मूडीज ने धार्मिक तनाव का हवाला देते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी पार्टी के सदस्यों पर लगाम लगाना चाहिए नहीं तो उनके लिए घरेलू और वैश्विक स्तर पर विश्वसनीयता कायम रखना मुश्किल हो जाएगा।
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