Moody's ने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती को लेकर कही ये बात, कंपनियों की शुद्ध आय बढ़ेगी लेकिन...
रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने शुक्रवार को कहा कि सरकार का कंपनी कर की दर में कटौती के निर्णय से भारतीय कंपनियों की आय बढ़ेगी और साख के लिहाज से सकारात्मक कदम है।
नयी दिल्ली। रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने शुक्रवार को कहा कि सरकार का कंपनी कर की दर में कटौती के निर्णय से भारतीय कंपनियों की आय बढ़ेगी और साख के लिहाज से सकारात्मक कदम है। मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (कॉरपोरेट फाइनेंस ग्रुप) विकास हलान ने कहा कि भारत सरकार का मूल कंपनी कर को 30 से घटाकर 22 प्रतिशत करने के निर्णय से भारतीय कंपनियों की शुद्ध आय बढ़ेगी और साख के लिहाज से सकारात्मक है। उन्होंने कहा कि साख पर अंतिम प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि कंपनियां अधिशेष कमाई का उपयोग कारोबार में निवेश में करते हैं या फिर कर्ज में कटौती या फिर शेयरधारकों को उच्च रिटर्न देने में करते हैं?
मूडीज के मुताबिक कॉरपोरेट टैक्स में कटौती से सरकार का राजकोषीय जोखिम बढ़ेगा। दूसरी तरफ, चक्रीय कारकों जैसे ग्रामीण खर्च में कमी, कमजोर कॉरपोरेट धारणाएं और कर्ज की सुस्त रफ्तार अल्पावधि की ग्रोथ के अनुकूल नजर नहीं आ रही हैं। मूडीज ने कहा कि उसे इस बात की उम्मीद नहीं है कि कॉरपोरेट टैक्स में कटौती से अनुमान के मुताबिक ग्रोथ को उस अनुपात में रफ्तार मिलेगी, जितना कि बढ़ा टैक्स राजस्व की क्षतिपूर्ति करता है।
मूडीज ने कहा कि एक तरफ जहां कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के बाद भारत जहां एशिया के कई देशों की बराबरी के नजदीक पहुंच गया है और कारोबारी माहौल और प्रतिस्पर्धात्मकता का समर्थन करता है वहीं, कई सारे चक्रीय कारक जिनमें कमजोर कॉरपोरेट धारणा, ग्रामीण खर्च में कमी और कर्ज के कम उठाव के कारण अल्पावधि में ग्रोथ के लिए परिस्थितियां अनुकून नहीं नजर आती हैं।
मूडीज ने कहा है कि कॉरपोरेट टैक्स में कटौती कंपनियों के लिए क्रेडिट पॉजिटिव है क्योंकि इससे वह कर-पश्चात आय अधिक अर्जित करने में सक्षम होंगे। हालांकि, सरकार के लिए यह क्रेडिट निगेटिव है क्यों यह सरकार के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को प्राप्त करने के जोखिमों को बढ़ाता है।
मूडीज ने कहा कि टैक्स की दर कम होने का सबसे अधिक फायदा कमोडिटी और आईटी सर्विसेज कंपनियों को होगा। इसने कहा है, 'लेकिन कॉरपोरेट क्रेडिट प्रोफाइल में मजबूती इस बात पर निर्भर करेगी कि कंपनियां अपने बिजनेस में अपने अतिरिक्त कमाई का कितना पुनर्निवेश करती हैं या उसका इस्तेमाल कर्ज कम करने के लिए करती हैं या फिर शेयरधारकों की कमाई बढ़ाती हैं।'
कुल मिलाकर भारत की गैर-वित्तीय कंपनियों ने मार्च 2019 में समाप्त हुए वित्त वर्ष में कर-पूर्व कुल आय 35 अरब डॉलर दर्ज की है। अब, अगर यह मानकर चला जाए कि इन कंपनियों की कमाई चालू वित्त वर्ष में अपरिवर्तित रहती हैं तो टैक्स की दर घटने से वे 3 अरब डॉलर बचा पाएंगी। (PTI)