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7 जून को RBI करेगा क्रेडिट पालिसी की समीक्षा, ब्याज दरों में कटौती की सम्भावना नहीं

खुदरा महंगाई बढ़ने के संकेतों के बीच RBI के गवर्नर द्वैमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा में नीतिगत दरों में यथास्थिति बनाए रख सकते हैं।

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नई दिल्ली। खुदरा महंगाई बढ़ने के संकेतों के बीच भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन द्वैमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा में नीतिगत दरों में यथास्थिति बनाए रख सकते हैं। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार रिजर्व बैंक ब्याज दर में कटौती की दिशा में कोई अगला कदम बढ़ाने से पहले मानसून की प्रगति का थाह लेना चाहेगा।

मानसूनी वर्षा की शुरुआत में इस साल देर हो रही है पर मौसम विभाग और निजी एजेंसियों ने वर्षा सामान्य या उससे ऊपर रहने का अनुमान लगाया है। राजन ने पिछले साल जनवरी से लेकर अब तक नीतिगत ब्याज दर में कुल मिला कर 1.5 फीसदी की ही कटौती की है। पर उनकी आलोचना इसी बात को लेकर हो रही है कि उन्होंने दरों में कमी शुरू करने से पहले जरुरत से ज्यादा समय तक मौद्रिक नीति को सख्त रखा। राजन नीतिगत दरों में कटौती करने के साथ-साथ बैंकों को उसका पूरा फायदा ग्राहकों तक पहुंचान के लिए भी जोर देते आ रहे हैं।

इस बार द्वैमासिक समीक्षा के बाद होने वाली गवर्नर के परंपरागत संवाददाता सम्मेलन को भी गौर से देखा जाएगा। क्यों कि उसमें राजन के सेवा काल के विस्तार के बारे में संकेतों को भी खोजा जाएगा। उनका कार्यकाल सितंबर में पूरा हो रहा है। एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी ने कहा, आरबीआई इस बार यथा स्थिति बनाए रखेगा। उसने कहा कि मुद्रास्फीति के आंकड़ें उम्मीद के अनुसार ही हैं पर वे बहुत सुखद नहीं कहे जा सकते। उसने कहा कि, केवल एक ही उत्साह जनक बात है, मानसून के अच्छे होने का अनुमान। RBI उसकी प्रगति को देख कर ही कटौती का कोई निर्णय करेगा।

अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति बढ कर 5.39 फीसदी पर पहुंच गई। वित्तीय कंपनी नोमूरा की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत से ऊपर बनी रहने से हमें लगता है कि वर्तमान नीतिगत दरें 2016 के अंत तक बनी रहेंगी।

RBI ने छह माह के अंतराल के बाद अप्रैल में नीतिगत ब्याज 0.25 फीसदी घटा कर 6.5 फीसदी कर दिया है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड इंडिया के मुख्य कार्यकारी जरीन दारूवाला ने कहा कि मानसून में विलंब को देखते हुए उन्हें नीतिगत दर में कमी किए जाने की संभावना नहीं दिखती। मॉर्गन स्टेनली की भी राय है कि RBI मानसून शुरू होने का इंतजार करेगा और मुद्रास्फीति के वास्तविक रुझानों को देना चाहेगा।

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