हैदराबाद। संकट में फंसे उद्योगपति विजय माल्या को भारत लौटने के लिए मजबूर करना एक खराब रणनीति है। यह बात आईटी क्षेत्र के निवेशक टीवी मोहनदास पई ने कही है। माल्या पर विभिन्न बैंकों का 9,000 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है। पई का कहना है कि इस मामले का हल बातचीत के जरिये निकाला जाना चाहिए।
इन्फोसिस के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी पई ने कहा, मुझे लगता है कि उन्हें जबरन भारत आने को मजबूर करना एक खराब रणनीति है। मुझे नहीं लगता कि वे जो कर रहे है। उसके लिए उनके पास कोई मजबूत आधार है। पई के मुताबिक बेहतर रणनीति यह होगी कि कर्ज वसूली न्यायाधिकरण उनके द्वारा बैंकों को दी गई गारंटी पर आदेश पारित करे और उनकी संपत्तियों को कुर्क करे।
पई ने पीटीआई भाषा से कहा, आज माल्या के लिए या उनके खिलाफ कोई प्रमाण नहीं है जिससे उन्हें पैसा लौटाने को कहा जाए। कोई अदालती आदेश नहीं है। विवाद अदालत में है। अदालत ने कोई आदेश नहीं दिया है। हर कोई कह रहा है कि वापस लौटाओ, वापस लौटाओ, पर क्या लौटाओ। वापस लौटाने के लिए अदालत के आदेश की जरूरत है। वास्तव में कितना लौटाना है। मुझे लगता है कि इस मामले पर ठीक से काम नहीं किया गया।
एरिन कैपिटल के सह संस्थापक पई ने कहा कि उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया जाए कि वह शराब व्यवसायी के साथ बातचीत के लिए आदेश जारी करे। उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा माल्या की जांच शुरू करने से पहले कोई यह दावा नहीं कर रहा था कि माल्या ने धन को इधर उधर किया और वह मनी लांड्रिंग में शामिल रहे। पई ने कहा, किसी को नहीं पता कि ईडी के पास क्या प्रमाण है। किसी बैंक को सबूत नहीं मिला है। कोई इसके बारे में नहीं बोल रहा है। सिर्फ प्रवर्तन निदेशालय इस बारे में बोल रहा है।
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