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मोदी सरकार प्राइवेट कंपनियों को बेचेगी ट्रेन टाइमिंग, DFC असेट मॉनेटाइजेशन से जुटाएगी पैसा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा था कि सरकार ईस्टर्न डीएफसी और वेस्टर्न डीएफसी के चालू होने के बाद इसकी संपत्ति का मौद्रिकरण करेगी।

Modi Govt to sell train timings to private players as part of DFC asset monetisation- India TV Paisa Image Source : INDIANRAILWAYS@TWITTER Modi Govt to sell train timings to private players as part of DFC asset monetisation

नई दिल्‍ली। भारतीय रेलवे (Indian Railways) अपने डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर्स (DFC) के लिए एक नए असेट मॉनेटाइजेशन मॉडल पर काम कर रही है। इस नए मॉडल में नीलामी प्रक्रिया के तहत ट्रेन टाइमिंग प्राइवेट कंपनियों को अलॉट किए जाएंगे।

वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा था कि सरकार ईस्‍टर्न डीएफसी और वेस्‍टर्न डीएफसी के चालू होने के बाद इसकी संपत्ति का मौद्रिकरण करेगी। वर्तमान में, शुरुआती असेट मॉनेटाइजेशन प्‍लान में प्राइवेट कंपनियों को ट्रेन चलाने के लिए ट्रैक लीज पर देना और टेलीकॉम कंपनियों को डीएफसी के 2800 किलोमीटर लंबे ऑप्टि फाइबर नेटवर्क के उपयोग की मंजूरी देना शामिल है। 

भारतीय रेलवे डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर्स की सभी उपलब्‍ध संपत्तियों का मौद्रिकरण करने पर विचार कर रही है। एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि रेलवे ट्रेनों के टाइम-टेबल के लिए एक विस्‍तृत चार्ट तैयार करेगा और उस विशिष्‍ट चार्ट में उपलब्‍ध मार्ग को प्राइवेट कंपनियों को बेचा जाएगा।  

यह बिल्‍कुल एविएशन इंडस्‍ट्री की तरह होगा, जिसे पूरी दुनिया में अपनाया जाता है। इस मॉडल में कंपनी के पास ट्रेन के समय को लेकर सुनिश्चितता होगी और उस समय के दौरान उसे ट्रैक खाली मिलेगा। यूरोप में जैसे हैथ्रो पर नीलामी के जरिये एविएशन कंपनियों को स्‍लॉट अलॉट किए जाते हैं।

ट्रैक के साथ ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क का उपयोग करने के संबंध में डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर कॉरपोरेशन (DFCCIL) ने पहले ही रेलटेल (Railtel) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए हैं।

डीएफसीसीआईएल के मैनेजिंग डायरेक्‍टर रविंद्र कुमार जैन ने पिछले हफ्ते मनीकंट्रोल से बातचीत में कहा था कि कंपनी ईस्‍टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर और वेस्‍टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर दोनों को जून 2022 तक पूरा कर लेगी। इन परियोजना के लिए आवश्‍यक जमीन में से 99 प्रतिशत का अधिग्रहण डीएफसीसीआईएल पहले ही कर चुकी है। ईस्‍टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर लुधियाना से लेकर दनकुनी तक 1856 किलोमीटर क्षेत्र को कवर करेगा, वहीं वेस्‍टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर दादरी से जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्‍ट तक 1504 किलोमीटर क्षेत्र को कवर करेगा।

दोनों ही डीएफसी की अनुमानित लागत 81,459 करोड़ रुपये है। ईडीएफसी की अनुमानित लागत 30,358 करोड़ रुपये है। वर्ल्‍ड बैंक ने ईडीएफसी को 13,625 करोड़ रुपये का लोन दिया है। डब्‍ल्‍यूडीएफसी को जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी से 38,722 करोड़ रुपये का लोन मिला है, इसकी कुल लागत 51,101 करोड़ रुपये है।  

केंद्रीय बजट में तीन नए डीएफसी ईस्‍ट-कोस्‍ट कॉरीडोर, ईस्‍ट-वेस्‍ट सब कॉरीडोर और नॉर्थ-साउथ कॉरीडोर की भी घोषणा की गई है। इससे 2.17 लाख करोड़ रुपये का निवेश आने की उम्‍मीद है।   

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