विनिवेश को आगे बढ़ाने के लिए मोदी सरकार का बड़ा कदम, सार्वजनिक उद्यम विभाग को वित्त मंत्रालय के अधीन किया
सरकार ने 2021-22 के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और वित्तीय संस्थानों में हिस्सेदारी बिक्री से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य तय किया है।
नई दिल्ली। सरकार ने अपने महत्वाकांक्षी विनिवेश कार्यक्रम को सुविधाजनक बनाने के लिए सार्वजनिक उद्यम विभाग (डीपीई) को वित्त मंत्रालय के तहत किया है। इससे पहले डीपीई भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय का हिस्सा था। कैबिनेट सचिवालय द्वारा छह जुलाई 2021 को जारी एक अधिसूचना के अनुसार वित्त मंत्रालय में उप-शीर्षक (5) वित्तीय सेवा विभाग के बाद, निम्नलिखित उप-शीर्षक शामिल किया जाएगा- (6) लोक उद्यम विभाग।
भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय का नाम बदलकर अब भारी उद्योग मंत्रालय कर दिया गया है। इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय बनाए गए विनिवेश मंत्रालय को वित्त मंत्रालय में मिलाकर एक विभाग का रूप दे दिया गया था। इसके साथ ही विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) को खत्म करके विदेशी निवेश का प्रशासन वित्त मंत्रालय को सौंप दिया गया था।
गजट अधिसूचना में कहा गया है कि इन नियमों को भारत सरकार (कार्य का आवंटन) तीन सौ इकसठवां संशोधन नियम, 2021 कहा जा सकता है। इस तरह यह वित्त मंत्रालय के तहत छठा विभाग होगा। इस समय वित्त मंत्रालय में पांच विभाग हैं - आर्थिक मामलों का विभाग, राजस्व विभाग, व्यय विभाग, वित्तीय सेवा विभाग और निवेश तथा सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग। यह बदलाव आज दिन में संभावित मंत्रिमंडल विस्तार से पहले किया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के अपने बजट में एक बड़े निजीकरण एजेंडे की घोषणा की थी, जिसमें दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एक सामान्य बीमा कंपनी का निजीकरण शामिल है। इसके अलावा भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) लाने और आईडीबीआई बैंक में शेष हिस्सेदारी बेचने का भी प्रस्ताव है।
सरकार ने 2021-22 के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और वित्तीय संस्थानों में हिस्सेदारी बिक्री से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य तय किया है। सरकार ने विनिवेश की राह को आसान बनाने के लिए 36 से ज्यादा कंपनियां को वित्त मंत्रालय में ट्रांसफर कर दिया है। अब ये 36 से ज्यादा कंपनियां वित्त मंत्रालय में होंगी पहले ये कंपनियां भारी उद्योग मंत्रालय में थीं।
इस ट्रांसफर लिस्ट में भेल, एचएमटी, स्कूटर इंडिया और एंड्यू यूले का नाम शामिल है। सरकार के ऐसा करने से कंपनियों का स्ट्रैट्जिक विनिवेश आसान होगा। सरकार ने पहले से ही रणनीतिक बिक्री के लिए लगभग 35 सीपीएसई की पहचान की है। इनमें एयर इंडिया, पवन हंस, बीईएमएल, स्कूटर्स इंडिया, भारत पंप कंप्रेशर्स और प्रमुख इस्पात कंपनी सेल की भद्रावती, सलेम और दुर्गापुर इकाइयां शामिल हैं।
जिन अन्य सीपीएसई के एकमुश्त बिक्री के लिए मंजूरी दी गई है, उसमें हिंदुस्तान फ्लोरोकार्बन, हिंदुस्तान न्यूजप्रिंट, एचएलएल लाइफ केयर, सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स, ब्रिज ऐंड रूफ इंडिया, एनएमडीसी का नागरनार इस्पात संयंत्र और सीमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और आईटीडीसी की इकाइयां शामिल हैं।
यह भी पढ़ें: इमरान खान ने अपनी सुरक्षा और प्रोटोकॉल पर लिया बड़ा फैसला...
यह भी पढ़ें: Bajaj बाइक खरीदने वालों के लिए अच्छी खबर, कंपनी ने कीमत 16800 रुपये घटाई
यह भी पढ़ें: Airtel उपभोक्ताओं के लिए खुशखबरी, कंपनी ने 99 रुपये प्रति माह में शुरू की सिक्योर इंटरनेट सेवा
यह भी पढ़ें: Good News: कोरोना की तीसरी लहर से पहले भारत में RTPCR टेस्ट की कीमत हुई इतनी कम
यह भी पढ़ें: Paytm के IPO से पहले कंपनी बोर्ड से बाहर हुए सभी चीनी नागरिक...