नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार ने देश के सहकारी बैंकों में सुधार के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब देश के 1540 सहकारी बैंक भी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नियमन के दायरे में आएंगे। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि वर्तमान में वाणिज्यिक, अनुसूचित और राष्ट्रीय बैंकों का नियमन आरबीआई करता है। लेकिन अब वाणिज्यिक बैंकों के नियमन के लिए बैंकिंग नियमन संशोधन अधिनियम 2019 सहकारी बैंकों पर भी लागू होगा।
हालांकि, जावड़ेकर ने यह स्पष्ट किया कि सहकारी बैंकों का प्रशासनिक ढांचा सहकारी पंजीयक के नियमों के तहत बना रहेगा। आरबीआई के नियम केवल सहकारी बैंकों के बैंकिंग सिस्टम पर ही लागू होंगे। उन्होंने बताया कि 8.6 करोड़ लोगों ने अपना धन 1540 सहकारी बैंकों में जमा रखा है। इन बैंकों के पास 5 लाख करोड़ रुपए की जमा धनराशि है। जमाकर्ता लंबे समय से बचत सुरक्षा के लिए मांग कर रहे थे। इसलिए मोदी सरकार ने जमाकर्ताओं के धन की सुरक्षा के लिए यह ऐतिहासिक कदम उठाया है।
जावड़ेकर ने कहा कि अब सहकारी बैंक अधिकारी बनने के लिए उम्मीदवारों को निश्चित शर्तों के लिए पात्र होना होगा। सीईओ नियुक्त करने के लिए मंजूरी दी जाएगी। इसके लिए आरबीआई दिशा-निर्देश जारी करेगा। आरबीआई नियमों के मुताबिक सहकारी बैंकों का ऑडिट किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सहकारी बैंकों के लिए ऋण माफी के लिए भी नियम बनाए जाएंगे। यदि स्थिति बिगड़ती है तो आरबीआई के पास बैंक पर नियंत्रण हासिल करने का अधिकार होगा। जावड़ेकर ने कहा कि अधिकांश सहकारी बैंक देश में अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन कुछ बैंकों के गलत कामों की वजह से पूरे सेक्टर को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। यह कदम जमाकर्ताओं के धन की सुरक्षा के लिए उठाया गया है। इससे पहले बजट में बैंक जमा बीमा कवर को भी एक लाख रुपए से बढ़ाकर पांच लाख रुपए कर दिया गया है।
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