नई दिल्ली। मोदी सरकार के कोयला सेक्टर को लेकर उठाए कदमों का असर अब दिखने लगा है। देश में अब बिजली आपूर्ति सुधरी है और बिजली के दाम भी घट गए है। दरअसल सरकार ने कोयले की गुणवत्ता और सप्लाई की क्षमता में सुधार किया है। इसीलिए बिजली की कीमतों में गिरावट आई है। जबकि, पिछले दो साल में कोयले की कीमतें रिवाइज हुई है। साथ ही, इस दौरानरेलवे ने भाड़े में भी बढ़ोतरी की है।
आंकड़ों पर एक नजर
एनटीपीसी के कोयले की कीमत 2014-2015 में 2 रुपए प्रति यूनिट थी, जिसमें ईंधन की कीमत रिवाइज्ड होने और रेलवे का भाड़ा बढ़ने के बाद 33 पैसे की बढ़ोतरी हो गई। इसके बावजूद 2016-2017 में इसकी कीतम 1.94 रुपए रही। दूसरे शब्दों में कहें तो 2014-15 में 33 पैसे ज्यादा देने के बाद भी आज एनटीपीसी की बिजली की कीमत 6 पैसे कम है।
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कम हुई खपत
सरकारी आंकड़ों की मानें तो पावर स्टेशन पिछले तीन साल के मुकाबले करीब 8 फीसदी कम कोयला जला रहे हैं। राज्यों को पावर सप्लाई करने वाली एनटीपीसी ने 2016-2017 में 5.5 फीसदी कम खपत की है।
इसमें 23,349 करोड़ रुपए के इम्पोर्ट सब्स्टिट्यूशन भी हैं, जो ईंधन की लागत को बचाता है। चूंकि बिजली उत्पादकों की ओर से वसूली गई कीमत में 54 से 60 प्रतिशत हिस्सा कोयले की लागत का होता है और इसे कन्ज्यूमर्स पर लाद दिया जाता है, ऐसे में कोयले के इस्तेमाल से ग्राहकों की जेबों पर तो असर होता ही है, पर्यावरण भी प्रभावित होता है।
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