नई दिल्ली। सरकार नयी राष्ट्रीय दूरसंचार नीति के तहत डाटा संप्रभुता का प्रावधान करते हुए भारतीय उपयोक्ताओं से जुड़ा डाटा रखने वाली सभी कंपनियों से 2022 तक अपने सर्वर भारत में लगाने को कह सकती है। जानकार सूत्रों ने यह जानकारी दी। नई दूरसंचार नीति 2018 का मसौदा 1 मई को जारी होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि सरकार दूरसंचार कंपनियों से यह सुनिश्चित करने को कह सकती है कि भारतीय नागरिकों के मेसेज व ईमेल का ब्योरा भारतीय सीमा में ही रखा जाए।
सूत्रों ने कहा कि नई दूरसंचार नीति लोगों को सभी सेवाओं की पहुंच एक क्लिक से ही उपलब्ध कराने की मंशा से तैयार की जा रही है। ताकि शिक्षा, सरकारी सेवाओं व स्वास्थ्य सेवाओं के लिए लोगों को व्यक्तिगत रूप से हाजिरी देने की जरूरत नहीं पड़े। इससे बड़ी मात्रा में डाटा सृजित होगा। सरकार यह प्रस्ताव कर सकती है कि 2022 तक भारतीय नागरिकों व इकाइयों से जुड़ी जानकारी यानी डेटा के सभी सर्वर भारत में ही हों।
इस समय ज्यादातर इंटरनेट कंपनियां विशेषकर सोशल मीडिया व ईमेल सेवा प्रदाता फर्में विदेश में स्थित सर्वरों का इस्तेमाल कर रही हैं। विदेश स्थित सर्वरों के जरिए उपयोक्ताओं की गतिविधियों पर निगरानी की आशंका जताई जारी रही है।
Paytm ने भी डाटा को देश में ही रखे जाने को बताया महत्वपूर्ण
मोबाइल के जरिए वित्तीय सेवाएं देने वाली प्रमुख कंपनी पेटीएम ने डाटा (जानकारी) के स्थानीयकरण पर जोर देते हुए कहा है कि यह उपभोक्ताओं से जुड़ी जानकारी की गोपनीयता व सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। पेटीएम के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) किरण वासीरेड्डी ने कहा कि किसी को भी अपनी सेवाओं की वाणिज्यिक शुरुआत की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए बशर्ते उनकी प्रणाली स्पष्ट रूप से भारत में नहीं हो। भारत की भुगतान प्रणालियों की सुरक्षा के लिए डेटा स्थानीयकरण बहुत महत्वपूर्ण है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में कहा था कि देश की सभी भुगतान प्रणाली कंपनियों को डाटा यानी जानकारी का भंडारण भारत में ही करना होगा ताकि उपयोक्ताओं से जुड़ी जानकारी की सुरक्षा व गोपनीयता सुनिश्चित की जा सके।
वासीरेड्डी ने कहा कि भारत में परिचालन कर रही हर भुगतान प्रणाली, ऐप तथा भुगतान मंच को ग्राहकों को अपनी सेवाओं की पेशकश से पहले इस नियम का पालन सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने संकेत दिया कि कंपनी (पेटीएम) सभी नियमों का पालन करती है।
वासीरेड्डी ने कहा कि जब अनेक देशों में डेटा संग्रहण व प्रसंस्करण किया जाता है तो इसको लेकर संशय हो सकता है कि किस देश के कानून उस पर लागू होंगे।
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