Modi Gov@4: जरूरी चीजों के दाम रहे काबू में, पेट्रोल- डीजल की कीमतों ने बिगाड़ा खेल
मोदी सरकार के पिछले चार साल के कार्यकाल में आटा, चावल जैसी जरूरी उपभोक्ता वस्तुओं के दाम इनके न्यूनतम समर्थन मूल्य में हुई वृद्धि को देखते हुए ज्यादा नहीं बढ़े।
नई दिल्ली। मोदी सरकार के पिछले चार साल के कार्यकाल में आटा, चावल जैसी जरूरी उपभोक्ता वस्तुओं के दाम इनके न्यूनतम समर्थन मूल्य में हुई वृद्धि को देखते हुए ज्यादा नहीं बढ़े। सरकारी उपायों से दाल-दलहन उतार-चढ़ाव के बाद पहले के स्तर पर आ गए, चीनी के दाम 10 प्रतिशत नीचे हैं। लेकिन ब्रांडेड तेल, साबुन जैसे रोजमर्रा के इस्तेमाल वाले विनिर्मित उत्पादों में इस दौरान आठ से 33 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
हालांकि, पिछले कुछ महीने से पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ने से महंगाई को लेकर सरकार की आगे की राह कठिन नजर आती है। दिल्ली में पेट्रोल 78.01 रुपए और डीजल का दाम 68.94 रुपए के आसपास पहुंच गया है। देश के कुछ राज्यों में पेट्रोल का दाम 80 रुपए लीटर को पार कर चुका है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम तेजी से बढ़ने, अमेरिका द्वारा इस्पात और एल्युमीनियम जैसे उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने और बदलती भू-राजनीतिक परिस्थितियों के चलते आने वाले दिनों में महंगाई को लेकर सरकार की राह कठिन हो सकती है।
वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों में भी महंगाई में नरमी के बाद मजबूती का रुख दिखा है। मई 2014 में थोक मुद्रास्फीति 6.01 प्रतिशत और खुदरा महंगाई 8.28 प्रतिशत थी। इसके बाद मई 2017 में थोक मुद्रास्फीति 2.17 और खुदरा मुद्रास्फीति 2.18 प्रतिशत रही। अब अप्रैल 2018 में इसमें वृद्धि का रुख दिखाई दे रहा है और थोक मुद्रास्फीति 3.18 प्रतिशत और खुदरा मुद्रास्फीति 4.58 प्रतिशत पर पहुंच गई।
मोदी सरकार ने पिछले साल एक जुलाई से देश में माल एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू किया। जीएसटी के तहत खुले रूप में बिकने वाले आटा, चावल, दाल जैसे खाद्यान्नों को कर मुक्त रखा गया जबकि पैकिंग में बिकने वाले ब्रांडेड सामान पर पांच अथवा 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाया गया।
एक सामान्य दुकान से की गई खरीदारी के आधार पर तैयार आंकड़ों के मुताबिक मई 2014 के मुकाबले मई 2018 में ब्रांडेड आटे का दाम 25 रुपए किलो से बढ़कर 28.60 रुपए किलो हो गया। पीएचडी उद्योग मंडल के मुख्य अर्थशास्त्री एस.पी. शर्मा का भी कहना है कि पिछले चार साल के दौरान आटा, चावल, दाल जैसी जरूरत वस्तुओं के दाम सरकारी प्रयासों के चलते ज्यादा नहीं बढ़े हैं लेकिन सब्जियों के दाम में इस दौरान काफी उतार-चढ़ाव रहा। प्याज, टमाटर जैसी सब्जियों के दाम कभी 10-15 रुपए किलो तो कभी 100 रुपए किलो तक ऊपर पहुंच गये। इस पर नियंत्रण होना चाहिए।