नई दिल्ली। कोरोना वैक्सीन के निर्माण में जुटी फार्मा कंपनी Moderna और Pfizer की कोरोना वैक्सीन का परीक्षण अब अंतिम दौर में पहुंच गया है। दवा कंपनियों ने 30-30 हजार लोगों के दो समूह में दो परीक्षण शुरू कर दिये हैं। इस परीक्षण के आधार पर ही कंपनियों को वो सभी जरूरी अनुमति मिल सकती है जिसके बाद वो इसका आम लोगों पर इस्तेमाल कर सकेंगे, और इसे बाजार में उतार सकेंगे। दवा कंपनियों की कोशिश है कि इस साल अंत तक ये वैक्सीन लॉन्च की जाए।
2 अलग अलग समूहों पर किए जा रहे ये दोनो ही परीक्षण वैक्सीन के निर्णायक परीक्षण का हिस्सा है। इस वैक्सीन के विकसित करने के लिए अमेरिका की सरकार मदद कर रही है। सरकार चाहती है कि परीक्षणों में अनावश्यक देरी न हो और समय पर वैक्सीन उतार कर महामारी को नियंत्रण में लाया जा सके। दवा कंपनियों के मुताबिक परीक्षण में वैक्सीन के निर्माण में पहले से प्रचलित तरीकों की जगह नई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे समय की बचत की जा सके और वैक्सीन जल्द बाजार में उतारी जा सकें। Moderna को अमेरिकी सरकार से वैक्सीन तैयार करने के लिए 100 करोड़ डॉलर की मदद मिली है। वहीं वैक्सीन के कारगर होने की शर्त पर अमेरिकी सरकार ने Pfizer से 5 करोड़ अमेरिकी नागरिकों के लिए वेक्सीन उपलब्ध कराने का करार किया है जिसकी कीमत करीब 200 करोड़ डॉलर होगी।
फिलहाल दुनिया भर में वैक्सीन तैयार करने के लिए 150 उम्मीदवार काम कर रहे हैं, जिसमें से 20 से ज्यादा इंसानों पर अपनी वैक्सीन के परीक्षण शुरू भी कर चुके हैं। कोरोना महामारी को लेकर वैक्सीन के निर्माण में प्रगति को देखते हुए शेयर बाजारों में भी सकारात्मक असर देखने को मिला है। अमेरिकी बाजार में Moderna का शेयर 9 फीसदी तक बढ़ा। वहीं Pfizer के शेयर में 1.6 फीसदी की बढ़त रही। वैक्सीन को विकसित करने वाली Pfizer की सहयोगी कंपनी BioNTech के स्टॉक में 4.2 फीसदी की बढ़त रही है।
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