नई दिल्ली। टेलीकॉम सेक्टर फिलहाल काफी दबाव के दौर से गुजर रहा है। महामारी के साथ ये स्थिति और बिगड़ गई है। टेलीकॉम सेक्टर इसके लिए प्राइस वॉर को वजह बता रहा है। मोबाइल कंपनियों का मानना है कि सेक्टर में कॉल से लेकर डाटा दरों की कीमतें काफी निचले स्तरों पर हैं ऐसे में कीमतों में बढ़त होनी जरूरी है। अब रेटिंग एजेंसियां भी मानने लगी हैं कि भारतीय टेलीकॉम सेक्टर में कीमतों में बढ़त ज्यादा देर तक रोकी नहीं जा सकती हैं।
फिच रेटिंग्स ने टेलीकॉम सेक्टर पर अपनी एक रिपोर्ट में अनुमान दिया है कि अगले एक साल के अंदर मोबाइल दरों की कीमतों में 20 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। टेलीकॉम सेक्टर के दिग्गज पहले ही संकेत दे चुके हैं कि सेक्टर की हालात और नए निवेश को देखते हुए दरों में तेज बढ़त होनी चाहिए लेकिन बाजार पर बुरा असर न पड़े इसलिए कंपनियां धीरे धीरे दरों में बढ़ोतरी कर सकती हैं।
इससे पहले भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने पिछले महीने ही संकेत दिए थे कि मोबाइल सेवाओं की दरों में तेज बढ़त देखने को मिल सकती है। उनका कहना है कि टेलिकॉम इंडस्ट्री के लिए कम दरों पर डेटा की पेशकश लंबे वक्त तक नहीं चल सकती. उन्होंने कहा कि 160 रुपये में प्रतिमाह 16 जीबी डेटा
ऑफर करना एक ट्रेजेडी है। इस इवेंट में मित्तल ने कहा था कि आप इस कीमत पर या तो एक माह में 1.6 जीबी डेटा की खपत कर सकते हैं या ज्यादा कीमत चुकाने के लिए तैयार हो सकते हैं. हम अमेरिका या यूरोप की तरह 50-60 डॉलर नहीं चाह रहे लेकिन 2 डॉलर में 16 जीबी डेटा प्रतिमाह लंबे वक्त तक नहीं रह सकता।
भारत मे जियो के आगमन के साथ कीमतों में तेज गिरावट देखने को मिली थी, प्राइस वॉर की वजह से ग्राहकों को बेहद कम कीमत के साथ प्लान ऑफर किए गए। हालांकि नई तकनीक में निवेश और एजीआर मामलों की वजह से कंपनियों पर आर्थिक दबाव देखने को मिला।
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