दुबई। पश्चिम एशिया के तेल निर्यातकों को कच्चे तेल के दाम घटने के मद्देनजर पिछले साल 390 अरब डॉलर का भारी-भरकम नुकसान हुआ है। इस साल उन्हें और अधिक 500 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने अक्टूबर में अनुमान जताया था कि इस क्षेत्र के तेल निर्यातक देशों को 2015 में 360 अरब डॉलर का नुकसान होगा लेकिन साल के अंत में कच्चे तेल का दाम और नीचे आ गया जिससे कि उनका नुकसान 30 अरब डॉलर और बढ़ गया।
आईएमएफ ने संशोधित आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट में कहा कि इन देशों की तेल निर्यात से होने वाली आय 2016 में और घटेगी। यह 490 अरब से लेकर 540 अरब डॉलर के बीच रहेगी। कच्चे तेल की कीमत जनवरी में घटकर 30 डॉलर प्रति बैरल हो गई जो 2014 के मध्य में 115 डालर प्रति बैरल पर थी। आईएमएफ के पश्चिम एशिया और मध्य एशिया मामलों के निदेशक मसूद अहमद ने कहा कि ये नुकसान बजट घाटे और धीमी आर्थिक वृद्धि में तब्दील होगा। इसका असर विशेष तौर पर सउदी अरब जैसे देशों पर होगा जो अभी भी कच्चे तेल से होने वाली आय पर बेहद निर्भर हैं।
सउदी अरब अपनी अर्थव्यवस्था में आमूल चूल बदलाव लाने के काम में लगा है लेकिन अभी भी उसके कुल राजस्व में कच्चे तेल की बिक्री से प्राप्त राशि का 72 प्रतिशत हिस्सा है। सउदी अरब ने इस साल 90 अरब डालर बजट घाटे का अनुमान लगाया है। रिपोर्ट के अनुसार खाड़ी सहयोग परिषद के छह सदस्य देशों -सउदी अरब, कुवैत, कतर, बहरीन, ओमान और संयुक्त अरब अमीरात- की आर्थिक वृद्धि 2015 के 3.3 फीसदी से घटकर इस साल 1.8 फीसदी रहने का अनुमान है। इस क्षेत्र की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में 2 फीसदी से कुछ अधिक वृद्धि रहेगी।
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