नई दिल्ली। माइक्रोफाइनेंस कंपनियों का दावा है कि कुछ लोग यह अफवाह फैला रहे हैं कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से कर्ज माफ किए जा रहे हैं। कंपनियों ने इन धोखेबाज लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए सरकार से मांग की है। सत्या माइक्रो कैपिटल ने एक बयान में कहा कि कोरोना वायरस महामारी और उसकी वजह से लागू लॉकडाउन से माइक्रोफाइनेंस सेक्टर के सामने एक नई चुनौती खड़ी हो गई है।
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सत्या माइक्रो कैपिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ विवेक तिवारी ने आरोप लगाया है कि इस कठिन परिस्थितियों का फायदा उठाते हुए कुछ गैर-सामाजिक तत्व कर्जमाफी जैसी अफवाहें फैलाकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं।
तिवारी ने दावा किया है कि अधिकांश समूह कर्ममाफी के लिए आंदोलन चलाने के नाम पर लोगों से सदस्य बनने का आग्रह कर रहे हैं और इसके लिए उनसे 500 रुपए से लेकर 1000 रुपए का सदस्यता शुल्क वसूल रहे हैं। उन्होंने यह भी कि इस धन का उपयोग वह अपने निजी कामों में कर रहे हैं। तिवारी ने कहा कि लोगों को अपने क्रेडिट स्कोर के प्रति सावधान रहना चाहिए और किसी की भी बातों में नहीं आना चाहिए।
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उन्होंने कहा कि माइक्रोफाइनेंस कंपनियां गरीबी, बेरोजगारी, वित्तीय आत्मनिर्भरता की कमी, डिजिटल साक्षरता, कम होते रोजगार के अवसर और अमीर और गरीब के बीच की खाई जैसे प्रमुख मुद्दों पर काम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। तिवारी ने कहा कि इस मुद्दे की संवेदनशीलता को देखते हुए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि सरकार इन गैर-सामाजिक तत्वों के खिलाफ कठोर कदम उठाए और उन लोगों को सख्त सजा दे जो इस तरह की अफवाहों को फैला रहे हैं।
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उन्होंने सरकार ने माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के लिए शिकायत निवारण सेल्स का गठन करने की भी मांग की है, जहां ऐसे मुद्दों का उचित समाधान उपलब्ध हो सके। भारत में माइक्रोफाइनेंस लोन तुलनात्मक रूप से कम, सस्ते और घटते ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जाता है। भारत में माइक्रोफाइनेंस संस्थानों के लिए औसत ब्याज दर लगभग 22.5 प्रतिशत है। वहीं दूसरी ओर सूक्ष्म संस्थान 24.5 प्रतिशत से 25 प्रतिशत की ब्याज दर पर लोन उपलब्ध कराते हैं।
सत्या माइक्रो कैपिटल असम, बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित 22 राज्यों में अपना परिचालन करती है।
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