नई दिल्ली। देश की प्रमुख कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) की कमोडिटी कीमतों पर नजर है और इन्हीं के आधार पर वह भविष्य में अपने वाहनों के दाम तय करेगी। दूसरी तिमाही में कच्चे माल के दाम काफी ऊंचे हो चुके हैं और कंपनी के मुताबिक उसने इस वृद्धि का पूरा बोझ अभी उपभोक्ताओं पर नहीं डाला है। कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी। मारुति सुजुकी इंडिया के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक (विपणन एवं बिक्री) शशांक श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘दूसरी तिमाही में शुद्ध बिक्री अनुपात में हमारी सामग्री की लागत 80.5 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई है। यह काफी ऊंचा स्तर है।’’ कंपनी को उम्मीद है कि आगे कमोडिटी कीमतों में कमी आएगी। कई कमोडिटी के दाम अपने अधिकतम स्तर पर है, इसलिए उनको नीचे आना चाहिए।
मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) के लिए सामग्री की लागत काफी महत्वपूर्ण होती है। ओईएम की कुल लागत में सामान्य तौर पर सामग्री का हिस्सा 70 से 75 प्रतिशत होता है। यह पूछे जाने पर कि क्या कंपनी अपने वाहनों की कीमतों में बढ़ोतरी करेगी, विशेषरूप से नए साल के अवसर पर, श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘हम बड़ी सावधानी से इसकी निगरानी कर रहे हैं। हमने पूर्व में हुई बढ़ोतरी का बोझ भी उपभोक्ताओं पर नहीं डाला है।’’ उन्होंने कहा कि कंपनी ने सितंबर की शुरुआत में अपने वाहनों के दाम 1.9 प्रतिशत बढ़ाए हैं। ‘‘लेकिन भविष्य की कीमतें तय करने के लिए कमोडिटी कीमतों की दिशा पर नजर रखने की जरूरत होगी।’’ उन्होंने कहा कि कच्चे माल के दाम पहली तिमाही में उच्चस्तर पर थे लेकिन मारुति सुजुकी जैसी ओईएम पर इसका प्रभाव एक तिमाही बाद दिखता है। उन्होंने कहा कि इसका असर मारुति सुजुकी पर दूसरी तिमाही में अधिक पड़ा है।
श्रीवास्तव ने कहा कि पिछले एक साल के दौरान कमोडिटी के दाम काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस्पात के दाम 38 रुपये प्रति किलोग्राम से 72 रुपये पर पहुंच गए थे। हालांकि, ये अब कुछ नीचे आए हैं। इसी तरह तांबा 5,200 डॉलर प्रति टन से 10,400 डॉलर प्रति टन हो गया है। उन्होंने कहा कि अन्य धातुओं के दाम भी पहले की तुलना में दो/तिहाई बढ़ चुके हैं।
Latest Business News