नई दिल्ली। भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर फरवरी में मामूली तौर पर बेहतर हुआ है। एक मासिक सर्वेक्षण के मुताबिक इसमें लगातार दूसरे महीने सुधार देखा गया है क्योंकि इस अवधि में एक्सपोर्ट मांग फिर बढ़ने से कुल नए ऑर्डरों का विस्तार हुआ है। निक्की मार्किट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) अनुसार फरवरी में विनिर्माण सूचकांक बढ़कर 50.7 रहा जो जनवरी के 50.4 के आंकड़े से अधिक है।
नोटबंदी के बाद फरवरी लगातार दूसरा महीना है जब मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई बढ़ा है। पीएमआई का 50 से उपर रहना वृद्धि को और इससे नीचे रहना संबंधित क्षेत्र में मंदी को दर्शाता है।
इस रिपोर्ट की सह लेखिका और आईएचएस मार्किट में अर्थशास्त्री पॉलीयाना डी लीमा ने कहा, भारतीय निर्माताओं को मांग बढ़ने का लाभ मिला है। साथ ही नए काम के क्षेत्र में विस्तार होने से उन्होंने उत्पादन भी बढ़ाया है।
- सर्वेक्षण के अनुसार कीमत के स्तर पर फरवरी में लागत और तैयार माल दोनों की मुद्रास्फीति तेज हुई है।
- लीमा ने कहा कि वस्तुओं की कीमत उंची रहने से विनिर्माताओं को लागत बढ़ने का बोझ देखना पड़ा।
- इससे फरवरी में मुद्रास्फीति की दर में एक तीव्र तेजी देखने को मिली। यह पिछले ढाई साल में सबसे स्पष्ट तेजी है।
- इसके चलते कारखाना शुल्कों में बढ़ोतरी हुई और यह पिछले 40 महीने में सबसे तेज गति से बढ़ी।
- इससे पहले अक्टूबर 2013 में मुद्रास्फीति की दर सबसे मजबूत थी।
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