नई दिल्ली। देश में विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन की वृद्धि की गति मई में पांच महीने में सबसे धीमी रही। यह बताता है कि क्षेत्र की हालत में बमुश्किल ही सुधार हुआ है और इससे रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में आगे और कटौती की मांग बढ़ेगी। विनिर्माण क्षेत्र के प्रदर्शन को बताने वाला निक्केई मार्केट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) मई में 50.7 रहा, जो अप्रैल में 50.5 था। 2013 के बाद से यह सबसे कम है।
पीएमआई के 50 से ऊपर होना विस्तार को, जबकि इससे नीचे संकुचन को बताता है। मार्केट की अर्थशास्त्री तथा रिपोर्ट तैयार करने वाले पालीयाना डी लीमा ने कहा, भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में मई में चुनौतीपूर्ण आर्थिक स्थिति के संकेत मिले हैं। उत्पादन में आगे वृद्धि की गति घटी है। पीएमआई विस्तार हुआ है लेकिन 2013 के अंत से यह अबतक का सबसे कमजोर आंकड़ा है। यह बताता है कि क्षेत्र में शायद ही कोई सुधार हुआ है। नए ऑर्डर बढ़े हैं लेकिन हल्की गति से और ज्यादातर वृद्धि घरेलू बाजार से हुई है। विदेशों से नए कारोबार सितंबर 2013 के बाद से पहली बार नीचे आया है।
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लीमा ने कहा, हालांकि नए ऑर्डर बढ़े हैं, लेकिन विस्तार की दर दीर्घकालीन सर्वे औसत से कम है और विदेशों ने नए कारोबार वास्तव में घटे हैं। मार्केट की अर्थशास्त्री लीमा ने कहा, अबतक इस बात के सबूत कम ही है कि मानक दर में ताजा कटौती से विनिर्माणकर्ताओं की व्यापार स्थिति में कोई उल्लेखनीय सुधार हुआ है। इसीलिए अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए आगे और प्रोत्साहन देने की जरूरत हो सकती है।
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