नई दिल्ली। कश्मीर के मुद्दे भारत को छोड़ पाकिस्तान का साथ देने वाले मलेशिया को भारतीय व्यापारियों ने ऐसा सबक सिखाया है कि वह अब भारत को नया ऑफर दे रहा है। देश में तेल और दिलहन उद्योग के संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) के मुताबिक भारतीय वनस्पति तेल आयातकों ने मलेशिया से पाम ऑयल का आयात बहुत कम कर दिया है। मलेशिया की आर्थव्यवस्था काफी हद तक पाम ऑयल के करोबार पर निर्भर रहती है और भारत मलेशियाई पाम ऑयल के सबसे बड़े खरीदारों में से एक है। लेकिन कश्मीर के मुद्दे पर मलेशिया का ज्यादा झुकाव पाकिस्तान की तरफ रहा और भारतीय व्यापारियों के कदम से मलेशिया को पाकिस्तान की तरफ झुकाव का बदला व्यापार में हो रहे घाटे से उठाना पड़ रहा है।
हालांकि मलेशिया ने इस स्थिति को भांपा है और भारत को नया ऑफर दे रहा है, SEA के मुताबिक मलेशिया ने भारत सरकार के सामने ऑफर रखा है कि वह भारत से अधिक मात्रा में चीनी और भैंस का मांस खरीदेगा। हालांकि भारत सरकार ने मलेशिया के इस ऑफर पर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। वहीं भारतीय व्यापारियों ने देश के खाने के तेल की जरूरत को पूरा करने के लिए मलेशिया की जगह इंडोनेशिया से पाम ऑयल खरीद बढ़ा दी है। इंडोनेशिया दुनियाभर में पाम ऑयल का सबसे बड़ा उत्पादक है।
खाने के तेल के मामले में भारत अभी आत्मनिर्भर नहीं हुआ है और भारत को अपनी खाने के तेल की जरूरत को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर रहना पड़ता है। देश में खपत होने वाले कुल खाने के तेल का लगभग 60-65 प्रतिशत भाग विदेशों से आयात होता है और देश में आयात होने वाले कुल खाने के तेल का लगभग 60-65 प्रतिशत भाग पाम ऑयल का होता है। मलेशिया और इंडोनेशिया पाम ऑयल के सबसे बड़े उत्पादक देश हैं और भारत इन्हीं दोनो देशों से पाम ऑयल का आयात करता है।
ऑयल वर्ष 2018-19 (नवंबर-अक्तूबर) के शुरुआती 11 महीने यानि नवंबर 2018 से सितंबर 2019 के दौरान देश में कुल 135.81 लाख टन खाने के तेल का आयात हुआ है जिसमें 86.30 लाख टन पाम ऑयल है और 49.51 लाख टन सोयाबीन, सरसों और सूरजमुखी का तेल है।
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