हैम्बर्ग। भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करते हुए भारत और G-20 के सदस्य देशों ने इस बुराई पर अंकुश के लिए अपनी सार्वजनिक प्रशासन को अधिक सख्त बनाने की प्रतिबद्धता जताई है। समूह ने यह सुनिश्चित करने का आासन दिया है कि रिश्वत के लेनदेन का अपराध करने वाले व्यक्तियों के अलावा लाभान्वित हुई कंपनियों को भी इसके लिए जिम्मेदार करार दिया जाएगा। यह घोषणा इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि OECD की रिश्वतखोरी रोधक संधि जिसे करीब एक दशक पहले अपनाया गया था, उसे अभी तक सिर्फ कुछ एक देशों द्वारा ही सक्रिय रूप से लागू किया गया है। जो देश इसको लागू कर रहे हैं वहां भी अपराध सिद्ध होने का अनुपात बहुत कम हैं।
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शनिवार रात को दो दिन के शिखर सम्मेलन के समापन पर संयुक्त घोषणा में G-20 के नेताओं ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को लेकर प्रतिबद्धता जताई। इसमें व्यावहारिक अंतरराष्ट्रीय सहयोग और तकनीकी सहयोग शामिल है। इन नेताओं ने कहा कि वे G-20 भ्रष्टाचार रोधक कार्रवाई योजना 2017-18 को पूर्ण रूप से क्रियान्वित करेंगे।
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उन्होंने कहा कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में ईमानदारी के लिए हम उच्चस्तर के सिद्धांतों के चार सेट को स्वीकार कर रहे हैं। कानूनी व्यक्तियों के दायित्व को लेकर उच्च स्तर के सिद्धांतों को अपनाकर हम यह सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता जताते हैं कि सिर्फ भ्रष्टाचार करने वाले व्यक्ति ही नहीं, इससे लाभ पाने वाली कंपनियां भी इसके लिए जिम्मेदार होंगी। G-20 देशों ने पहले ही सार्वजनिक क्षेत्र में पारदर्शिता तथा नैतिकता को मजबूत करने के लिए कई उपायों की प्रतिबद्धता जताई है। इसमें सरकारी अधकारियों के व्यवहार को लेकर जरूरतें भी शामिल हैं।
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