नई दिल्ली। इंस्टेंट नूड्ल्स बाजार में मैगी का बोलबाला फिर कायम हो गया है। कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि बिक्री आय के हिसाब से यह अब फिर बाजार में 60 प्रतिशत से अधिक हिस्से पर काबिज हो गयी है। यह इस लोकप्रिय ब्रांड पर कुछ वर्ष पूर्व गुणवत्ता के मुद्दे पर आए संकट के पहले के स्तर के करीब है।
जून 2015 में विवाद से वजह से लगा था प्रतिबंध
हालांकि, मात्रा के हिसाब से अभी यह संकट से पूर्व के स्तर से काफी दूर है। उस समय मैगी की बाजार हिस्सेदारी 75 प्रतिशत थी। मैगी की कुछ खेप में तय मात्रा से अधिक लेड (सीसा) पाये जाने पर मैगी को जून 2015 में प्रतिबंधित कर दिया गया था।
विवाद से पहले के दौर में लौटी मैगी
नेस्ले इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सुरेश नारायणन ने कहा, "मैगी की बाजार हिस्सेदारी 60 प्रतिशत से थोड़ा अधिक है, हम संकट से पहले के स्तर के करीब आ रहे हैं। मूल्य के आधार पर करीब-करीब पहले की स्थिति में आ चुके हैं।" उन्होंने कहा कि हमें मात्रा के हिसाब से अभी पुराने स्तर तक पहुंचने में थोड़ा समय लगेगा।
नेस्ले की कुल बिक्री में मैगी का एक तिहाई योगदान
वर्तमान में मैगी का कंपनी की कुल बिक्री में योगदान करीब एक-तिहाई है। नारायणन ने मीडिया के साथ बातचीत में कहा, "तैयार खाद्य प्रदार्थ (मैगी और मैगी फ्रेंचाइजी) का कुल योगदान आय में करीब 30 प्रतिशत है।" नेस्ले इंडिया ने 2017 में 10,000 करोड़ रुपये के बिक्री का स्तर पार कर लिया।
2015 में FSSAI ने लगाया था प्रतिबंध
भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने मैगी में कथित तौर पर तय सीमा से अधिक लेड पाये जाने पर जून 2015 में प्रतिबंध लगा दिया। जिसके बाद नेस्ले को मैगी को बाजार से हटाने पर मजबूर होना पड़ा था। कानूनी लड़ाई के बाद नवंबर 2015 में मैगी फिर से बाजार में लौटी थी।
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