नई दिल्ली। चीन और पाकिस्तान से एक साथ निपटने के लिए भारत लगातार अपनी सेना की ताकत बढ़ा रहा है। इसी कड़ी में सरकार ने घातक पिनाक मल्टी बैरल रॉकेट सिस्टम की संख्या बढाने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। इंजीनियरिंग और निर्माण क्षेत्र की प्रमुख कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) ने शुक्रवार को कहा कि उसकी रक्षा शाखा को भारतीय रक्षा मंत्रालय (एमओडी) से पिनाक हथियार प्रणाली की आपूर्ति के लिए कॉन्ट्रैक्ट मिला है। एलएंडटी ने शेयर बाजार को बताया कि ठेके के तहत चार रेजिमेंटों के लिए पिनाक लॉन्चर, बैटरी कमांड पोस्ट और संबंधित इंजीनियरिंग सपोर्ट पैकेज (ईएसपी) की आपूर्ति की जाएगी। कंपनी ने कुल लागत के बारे में नहीं बताया, लेकिन कहा कि अनुबंध ‘महत्वपूर्ण’ श्रेणी के तहत आता है, यानी इसका मूल्य 1,000 करोड़ रुपये से 2,500 करोड़ रुपये के बीच है।भारत ने पिनाक मिसाइल सिस्टम को पाकिस्तान और चीन से लगने वाली सीमा पर तैनात करने का फैसला लिया है। इसके लिए सरकार ने 3 स्वदेशी कंपनियों को 6 रेजीमेंट के निर्माण के लिए चुना है। एलएंडटी उसमें से एक है।
क्या है पिनाक मल्टी बैरल रॉकेट सिस्टम की खासियत
पिनाक एक स्वदेशी मल्टी बैरल रॉकेट सिस्टम है, जिसकी नाम शिव जी के धनुष के नाम पर रखा गया है।
पिनाक सिस्टम की एक बैटरी में 6 लॉन्च व्हीकल होते हैं, जिसमें से हर एक सिर्फ 44 सेंकेंड में 12 रॉकेट पूरी सटीकता के साथ अपने लक्ष्य पर दाग सकता है। हर रेजीमेंट में 3 बैटरी होती हैं।
हर बैटरी में लोडर सिस्टम, रडार और कमांड पोस्ट होता है। सिस्टम तेजी के साथ जगह बदलने और बेहद कम समय में पूरी ताकत से वार करने के लिए एक बाऱ फिर तैयार किय़ा जा सकता है।
एक बैटरी एक बार में एक किलोमीटर लंबा और एक किलोमीटर चौड़ा क्षेत्र पूरी तरह से बरबाद कर सकती है।
बैटरी एक बार हमला करने के साथ ही तेजी के साथ जगह बदलने में भी सक्षम है जिससे दुश्मन को पहले हमले के बाद बैटरी की जानकारी नहीं मिल पाती।
पिनाका मार्क 1 सिस्टम की मार 40 किलोमीटर है, वहीं पिनाका मार्क 2 में 75 किलोमीटर तक मार करने की क्षमता है।
मार्क 2 सिस्टम के रॉकेट गाइडेड मिसाइल की तरह इस्तेमाल किये जा सकते हैं।
पिनाक मार्क 1 का कारगिल युद्ध में सफलता पूर्वक इस्तेमाल किया गया था।
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