दाम बढ़ने के बावजूद एलपीजी डिमांड पर असर नहीं, तेल कंपनियों के मुताबिक खपत 7 प्रतिशत बढ़ी
एक मार्च 2014 को रसोई गैस सिलेंडर का दाम 410.5 रुपये प्रति 14.2 किलो पर था जो कि अब 819 रुपये प्रति सिलेंडर हो चुका है। इसके बावजूद खपत में भी बढ़त देखने को मिली है।
नई दिल्ली। रसोई गैस की बढ़ती कीमतों को लेकर एक तरफ जहां पूरा विपक्ष सरकार पर निशाना साध रहा है वहीं दूसरी तरफ तेल कंपनियों की माने तो कीमतों का मांग पर कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है। कंपनियों के मुताबिक रसोई गैस सिलेंडर की खपत पिछले तीन माह के दौरान 7.3 प्रतिशत बढ़ गई है।
पीएम उज्जवला के लाभार्थियों के बीच खपत बढ़ी
सार्वजनिक तेल कंपनियों ने यह जानकारी देते हुये कहा है कि इसमें भी प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के लाभार्थियों के बीच खपत में करीब 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनी इंडियन आयल कार्पोरेशन (आईओसी) ने एक वक्तव्य में कहा है, ‘‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभाथिर्यों के बीच एलपीजी की खपत बढ़ी है।’’ इसमें कहा गया है कि पीएमयूवाई के लाभार्थियों में दिसंबर 2020 से फरवरी 2021 के बीच रसोई गैस की खपत 19.5 प्रतिशत बढ़ी है। यही अवधि है जब रसोई गैस सिलेंडर के दाम में 175 रुपये प्रति सिलेंडर तक की वृद्धि हुई है। पीएमयूवाई योजना के तहत आठ करोड़ से अधिक परिवारों को रसोई गैस का कनेक्शन मुफ्त में दिया गया। भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) की तरफ से भी इसी तरह का वक्तव्य आया है। बीपीसीएल निजीकरण के रास्ते पर है।
7 साल में दोगुनी हुई कीमतें
तेल कंपनियों की तरफ से यह बयान ऐसे समय आया है जबकि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस जैसे विपक्षी दल पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों को लेकर सरकार पर हमलावर हैं। उनका कहना है कि इनके दाम बढ़ने से आम आदमी पर बोझ बढ़ा है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने इस सप्ताह की शुरुआत में लोकसभा को बताया कि पिछले सात साल के दौरान भारतीय जनता पार्टी की सरकार के सत्ता में आने के बाद से रसोई गैस सिलेंडर का दाम दोगुना हो चुका है। एक मार्च 2014 को रसोई गैस सिलेंडर का दाम 410.5 रुपये प्रति 14.2 किलो पर था जो कि अब 819 रुपये प्रति सिलेंडर हो चुका है। इन सब के बावजूद साल दर साल आधार पर घरेलू एलपीजी बिक्री अप्रैल 2020 से लेकर फरवरी 2021 की अवधि में एक साल पहले की इसी अवधि के मुकाबले 10.3 प्रतिशत बढ़ी है।