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निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में निवेश कम, प्रोत्साहनों से बदल सकती है स्थिति: नीति आयोग

सरकार ने हेल्थकेयर सेक्टर के लिये 50 हजार करोड़ रुपये की योजना का ऐलान किया, जिसका उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों में हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाना है।

<p>निजी हेल्थकेयर...- India TV Paisa Image Source : PTI निजी हेल्थकेयर सेक्टर में निवेश कम

नई दिल्ली। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल के मुताबिक देश में निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में निवेश का स्तर काफी कम है, जिससे इस क्षेत्र का विस्तार नहीं हो पा रहा है।  हालांकि उन्होने इसके साथ कहा कि सरकार के द्वारा हाल में घोषित प्रोत्साहनों से देश के समक्ष इस स्थिति को बदलने का अवसर बन रहा है है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को छोटे कारोबारियों को 1.5 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण उपलब्ध कराने की घोषणा की। साथ ही उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र को अतिरिक्त कोष, पर्यटन एजेंसियों और गाइड को ऋण तथा वीजा शुल्क माफी जैसी घोषणाएं कीं। सरकार कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर के मद्देनजर पैदा होने वाली किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए अस्पतालों में विशेषतौर से बच्चों की चिकित्सा सुविधाओं, बिस्तरों आदि के लिए 23,220 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तपोषण उपलब्ध कराएगी। 

पॉल ने ‘नॉट-फॉर प्रॉफिट हॉस्पिटल मॉडल इन इंडिया’ विषय पर रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, ‘‘निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के विस्तार के लिहाज से निवेश का स्तर काफी कम है। कल जिन प्रोत्साहनों की घोषणा की गई है उनसे हम इस स्थिति को बदल सकते हैं।’’ एक आधिकारिक बयान के अनुसार, इस रिपोर्ट में ‘नॉट-फॉर प्रॉफिट अस्पतालों के परिचालन मॉडल की जानकारी दी गई है। इसमें ऐसे अस्पतालों पर शोध आधारित निष्कर्ष डाले गए है। बयान में कहा गया है कि मुनाफे के लिए काम करने वाले स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के बारे में पर्याप्त सूचना उपलब्ध है, लेकिन मुनाफा कमाने के लिये काम नहीं करने वाले एक प्रकार के निस्वार्थ सेवा देने वाले ‘नॉट फॉर प्रॉफिट’ वाले अस्पतालों के बारे में विश्वसनीय सूचनाओं का अभाव है। 

कल ही सरकार ने हेल्थकेयर सेक्टर के लिये 50 हजार करोड़ रुपये की योजना का ऐलान किया, जिसका उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों में हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाना है। कोविड की दूसरी लहर के दौरान देश के कई हिस्सों में स्वास्थ्य सेवा से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी महसूस की गयी थी, जिसे देखते हुए सरकार अब इस दिशा में कदम उठा रही है। 

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