नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर उर्जित पटेल ने आज कहा कि बैंकों के एनपीए यानी फंसे कर्ज के ऊंचा होने की समस्या पुराने कारणों से है। इनमें से ज्यादा तर पैसा ऐसी परियोजनाओं में फंसा है जो 2011-12 से पहले ऐसी परियोजनाओं को दिया गया था जिनके चालू होने में लम्बा समय लगता है।
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उन्होंने कहा कि गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) की समस्या पहले भी थी, लेकिन इसे अब हाल में आ कर स्वीकार किया जाने लगा है।
पटेल ने कहा कि डूबे कर्ज की समस्या ज्यादातर उन क्षेत्रों में है जिनमें परियोजनाओं के निर्माण को पूरा करने में लंबा समय लगता है। ऐसे ज्यादा कर कर्ज 2011-12 से पहले के हैं।
रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा, इस लिए परिभाषा के अनुसार यह अनुपातिक राशि विरासित का मुद्दा है। हालांकि, इसकी पहचान और रिपोर्टिंग हाल के समय में शुरू हुई है। वित्त मंत्री अरण जेटली ने रिजर्व बैंक के बोर्ड की बैठक को संबोधित करते हुए कहा था कि एनपीए की समस्या से निपटने को एक सरकारी ढांचा बनाया जा रहा है, क्यांेकि इसका निपटान एक सतत प्रक्रिया है।
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