नई दिल्ली। सरकार कर्ज वसूली कानूनों को मजबूत करने के लिए प्रस्तावित एक संशोधन विधेयक को कल लोकसभा में चर्चा और पारित कराने के लिए करेगी। इसका मकसद देश में कारोबार सुगमता को बढावा देना है। प्रतिभूति हित प्रवर्तन तथा कर्ज वसूली कानूनों और अन्य प्रावधान विधेयक, 2016 को मई में लोकसभा में पेश किया गया था।
इसके तहत चार पुराने कानूनों वित्तीय परिसंपत्तियों का प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन कानून, 2002, बैंकों और वित्तीय संस्थानों के बकाया ऋणों की वसूली का कानून, 1993, भारतीय स्टाम्प कानून, 1899 तथा डिपाजिटरी कानून, 1996 में संशोधन किया जाना है। इसे लोक सभा में पेश किए जाने के बाद संसद की संयुक्त समिति के विचारार्थ भेज दिया गया था। लोकसभा की विधायी कार्यों की कल की सूची के अनुसार प्रतिभूति हित प्रवर्तन तथा ऋण वसूली कानूनों और अन्य प्रावधान विधेयक, 2016 पर विचार किया जाना है और उसे पारित कराना है।
सरकार ऐसे समय यह कानून लेकर आ रही है जबकि ऋण वसूली को लेकर चिंता लगातार बढ़ रही है। बैंकिंग प्रणाली में वसूली के संकट में फंसी परिसंपत्तियां 8 लाख करोड़ रुपए को पार कर गई हैं। इस कानून के जरिए रिजर्व बैंक को संपत्ति पुनर्गठन कंपनियों के नियमन का अधिकार देने, ऋणों के भुगतान में गारंटीशुदा ऋणदाताओं की प्राथमिकता सूची तैयार करने और बैंकों तथा वित्तीय संस्थाओं द्वारा संगट ग्रस्त ऋणों को सम्पत्ति पुनर्गठन कंपनियों को हस्तांतरित किए जाने पर स्टाम्प शुल्क की छूट के प्रावधान हैं। करीब 5 लाख करोड़ रुपए के 70,000 मामले ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) में लंबित हैं। प्रस्तावित संशोधनों से वसूली के आवेदनों के तेजी से निपटान में मदद मिलेगी।
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