तूफान के बीच ओएनजीसी के जहाजों के साथ कैसे हुआ हादसा, सूत्रों ने दी चौंकाने वाली जानकारियां
बचाव दल हादसे में फंसे 261 में से 186 कर्मचारियों को बचा सके हैं, जबकि 37 लोगों की मौत की पुष्टि की जा चुकी हैं और 38 लोग अभी भी लापता हैं।
नई दिल्ली। ताउते तूफान के दौरान अरब सागर में ओएनजीसी के जहाजों के लापता कर्मचारियों की तलाश के लिये बचाव दल हर संभव कोशिशों में लगे हैं हालांकि समय बीतने के साथ उम्मीदें घटती जा रही। बचाव अभियान के साथ साथ हादसे की जांच भी शुरू हो गयी है। इस हादसे में नौसेना की तत्परता से कई लोगों की बचा लिया गया। हालांकि बड़ी संख्या में लोगो की मौत हो गयी है और कई लोग लापता है।
कैसे हुआ हादसा
ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) के तेल निकालने वाले बड़े जहाज समेत निजी कॉन्ट्रैक्टर एफकॉन्स के तीन जहाज सोमवार रात को ताउते तूफान की चपेट में आने के बाद बह गए। ये तीनों जहाज सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के तेलफील्ड में काम कर रहे थे।भारतीय नौसेना, तटरक्षक बल और ओएनजीसी के जहाज इन जहाजों पर मौजूद कर्मचारियों को बचाने के लिए बड़ा बचाव अभियान चला रहे है। अब तक बड़ी संख्या में कर्मचारियों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया गया है लेकिन हादसे में 37 लोगों की मौत की पुष्टि की जा चुकी हैं और 38 लोग अभी भी लापता हैं।
क्या हो सकती है हादसे की वजह
ओएनजीसी से जुड़े उच्च सूत्रों के मुताबिक तूफान में जहाजों के फंसने की घटना के कारण संभवत: अधूरी जानकारी, कम समय और ताउते तूफान के मार्ग का गलत अनुमान है। इस मामले की पूरी जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा, ‘‘तेल तलाशने और तेल की खुदाई में इस्तेमाल किये जाने वाले यंत्रों को कठिन मौसम की स्थिति में भी काम करने के उद्देश्य से तैयार किया जाता है। सूत्र ने कहा, ‘‘खराब मौसम की स्थिति में कर्मचारियों को तब ही निकाला जाता है जब स्थिति संभालने लायक न हो। इस तरह के निर्णय हालांकि ऑपरेटर द्वारा प्राप्त मौसम की जानकारी पर निर्भर होते हैं। ताउते तूफ़ान के मामले में हवाओं की गति से लेकर वायुमंडलीय दबाव और तूफ़ान के मार्ग का आंकलन करने में चूक हुई।’’
कम समय से भी मुश्किलें बढ़ीं
सूत्र ने कहा, ‘‘सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कामकाज रोकने या अस्थायी रूप से बंद करने में एक सप्ताह का समय लगता है। ऐसी स्थिति में जहाजों को खुदाई की जगह से हटाना होता है और कर्मचारियों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाना होता है। ताउते तूफ़ान के मामलें में यह सब कदम उठाने का समय नहीं था। तूफ़ान का मार्ग और उसका प्रभाव का आंकलन सही से नहीं हो सका जिसके कारण यह घटना घटी।’’
'नहीं जानते कप्तान ने ऐसा क्यों किया'
एक अन्य सूत्र ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में जहाज तथा चालक दल की सुरक्षा के लिए कोई भी निर्णय लेने की सभी शक्तियां जहाज चालक यानी कप्तान के पास होती है। मौसम विभाग, कोस्ट गार्ड से मिल रही सारी जानकारियां जहाज के कप्तानों को भी मिल रही थीं। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक जहाज के कप्तान पर जहाज छोड़ने का भी आरोप है। सूत्र के मुताबिक हम अभी तक नहीं जानते हैं कि जहाज चालक ने तूफान के दौरान जो किया वह क्यों किया। इस मामले में विस्तार से जानने के लिए एक जांच समिति का गठन पहले ही किया जा चुका है।" पेट्रोलियम मंत्रालय ने बुधवार को जहाजों के फंसे होने के मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है।