शराब की होम डिलिवरी के लिए शराब कारोबारियों ने मंजूरी मांगी, कई तरीके भी सुझाये
लॉकडाउन के चलते रेस्टोरेंट्स और होटलों के पास करीब 3,000 करोड़ रुपये की शराब का स्टॉक जमा
नई दिल्ली। शराब विनिर्माताओं के साथ अब रेस्टोरेंट, बार तथा खान-पान संबंधी ऑनलाइन सुविधा देने वाली कंपनियों ने सरकार से शराब की होम डिलिवरी करने की छूट मांगी है। इन कंपनियों का कहना है कि इससे कारोना वायरस के संक्रमण के खतरे वाले इस दौर में लोगों के बीच परस्पर सुरक्षित दूरी सुनिश्चित होगी बल्कि यह पाबंदी में तबाह हो चुके उनके कामकाज को भी उबारने में मददगार साबित होगा। ताजी बीयर बनाने वाली कंपनियों के संगठन ऑल इंडिया ब्रेवर्स एसोसियेशन (एआईबीए) ने इसके लिये फ्लिपकार्ट, अमेजन और ग्रोफर्स जैसी ई-वाणिज्य कंपनियों तथा जोमैटो व स्विगी जैसी खाद्य पदार्थ डिलिवरी कंपनियों को विशेष लाइसेंस देने का सुझाव दिया है। संगठन ने कहा कि ये कंपनियां ऑनलाइन ऑर्डर ले सकती हैं और लाइसेंस प्राप्त खुदरा तथा थोक शराब विक्रेताओं के जरिये मांग को पूरा कर सकती हैं।
संगठन ने शराब के लिये राज्य के आबकारी विभागों के तहत ऑनलाइन ऑर्डर करने के लिये पोर्टल बनाने का भी सुझाव दिया। कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन के चलते रेस्तरांओं और होटलों के पास करीब 3,000 करोड़ रुपये की शराब का स्टॉक जमा हो गया है। ये राज्य सरकारों से मांग कर रहे हैं कि उन्हें स्टॉक खाली करने के लिये होम डिलिवरी की सुविधा दी जाये। भारतीय राष्ट्रीय रेस्तरां संघ (एनआरएआई) के अध्यक्ष अनुराग कटरियार ने कहा, इस समय हम काफी संकट से जूझ रहे हैं। एक तरफ हमारे पास महंगी शराब का स्टॉक जमा हो गया है, वहीं दूसरी तरह हमारे सामने नकदी का संकट है। हालांकि, अब उद्योग को रोशनी की कुछ किरण दिख रही है, क्योंकि कई राज्यों ने शराब बिक्री की अनुमति दे दी है। कटरियार ने कहा, ‘‘हम सभी राज्य सरकारों से आग्रह करते हैं कि हमें शराब के स्टॉक की बिक्री की अनुमति दी जाए। ‘होम डिलिवरी’ मॉडल से हम यह शराब बेच सकते हैं।’’ उन्होंने कहा कि इससे हमें अपना स्टॉक निकालने में मदद मिलेगी। हम कुछ पैसे जुटा पाएंगे जिससे लोगों की जरूरतें पूरी हो सकेंगी। साथ ही इस मॉडल के जरिये हम लोगों के बीच परस्पर दूरी के दिशानिर्देशों का भी अनुपालन कर सकेंगे।
खान-पान संबंधी ऑनलाइन सुविधा देने वाली कई कंपनियां सरकार से मंजूरी मिलने पर शराब की होम डिलिवरी करने के लिये तैयार हैं। सूत्रों की मानें तो शराब की ऑनलाइन बिक्री व होम डिलिवरी के लिये स्विगी जैसी कंपनियों के साथ प्राधिकरणों की बातचीत चल रही है। कंफेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज के महानिदेशक विनोद गिरी ने कहा, ‘‘सरकार को अलग से प्रशासित ऑनलाइन माध्यम के जरिये शराब की होम डिलिवरी को संस्थागत स्वरूप देने पर गौर करना चाहिये। हम इसमें हरसंभव सहयोग व मदद प्रदान करेंगे। इसी तरह बीयर कैफे के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राहुल सिंह ने कहा कि भारत में शराब तीन तरीकों.खुदरा, होरेका (होटल, रेस्तरां और कैटरिंग) तथा कैंटीन स्टोरों के जरिये बेची जाती हे। देशभर में होरेका लाइसेंस वाले स्थानों की संख्या 30,000 के करीब है। सिंह ने कहा, ‘‘किसी भी समय कम से कम एक महीने का स्टॉक रहता है। इसका मतलब है कि लॉकडाउन की वजह से देशभर में विभिन्न आउटलेट्स पर कम से कम 3,000 करोड़ रुपये का स्टॉक पड़ा है।’’ उन्होंने कहा कि शराब की खुदरा बिक्री शुरू हो गई है। अब हमारे उद्योग को भी इसकी अनुमति दी जानी चाहिए। सिंह ने कहा, ‘‘हम राज्य सरकारों से आग्रह कर रहे हैं कि हमें अस्थायी रूप से अपना स्टॉक बेचने की अनुमति दी जाए।’’ उन्होंने कहा कि दुनिया के सभी देशों ने ऐसा किया है। यहां भी ऐसा किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने आठ मई के एक आदेश में लॉकडाउन के दौरान शराब की होम डिलिवरी व ऑनलाइन बिक्री पर राज्यों को विचार करने को कहा है। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि इससे कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार पर लगाम लगायी जा सकती है।