नई दिल्ली। बिस्कुट विनिर्माताओं ने जीएसटी परिषद से मांग की है कि प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली में बिस्कुट उद्योग को कर के सबसे सबसे निचले स्लैब में रखा जाना चाहिए। सरकार एक जुलाई से जीएसटी प्रणाली लागू करने जा रही है।
फेडरेशन ऑफ बिस्कुट मैन्यूफैक्चरर्स ऑफ इंडिया (एफबीएमआई) ने जीएसटी परिषद से आग्रह किया है कि व्यापक खपत को ध्यान में रखते हुए बिस्कुट को जीएसटी के सबसे निम्न स्लैब में रखा जाना चाहिए। एफबीआईएम के अनुसार सभी बिस्कुटों को जीएसटी के न्यूनतम कराधान स्लैब में रखना सरकार की अन्य अच्छी नीतिगत पहलों के अनुरूप ही होगा। इससे इस क्षेत्र के विस्तार व फलने फूलने में मदद मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि जीएसटी परिषद ने जीएसटी प्रणाली के लिए चार स्तरीय कर स्लैब रखा है। परिषद ने इसके लिए 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के कर स्लैब को अंतिम रूप दिया है। परिषद को अपनी अगली बैठक, जो मई में होनी है, में अब यह तय करना है कि किस वस्तु पर किस दर से जीएसटी लगाया जाएगा।
संगठन का कहना है कि बिस्कुटों पर ऊंची दर से कर लगाया गया तो इसका नकारात्मक असर समूची मूल्य श्रृंखला पर पड़ेगा। बिस्कुटों की मांग घटेगी और उससे किसानों से लेकर निवेश, निर्यात व रोजगार तक पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। संसद ने जीएसटी के क्रियान्वयन से संबंधित चारों विधेयकों को मंजूरी दे दी है। जीएसटी लागू करने से संबंधित संसद का विधायी कार्य पूरा कर लिया गया है। अब राज्यों को जीएसटी विधेयक को मंजूरी देनी है।
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