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पंजाब नैशनल बैंक में घोटाला हुआ नहीं बल्कि लापरवाही से होने दिया गया? बैंक की जांच रिपोर्ट में उठे सवाल

पंजाब नैशनल बैंक (PNB) में हुए 13 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले को लेकर नई जानकारी निकलकर सामने आई है, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक घोटाला सामने आने से पहले बैंक में हो रहा घाल-मेल कई अधिकारियों के सामने था लेकिन अधिकारियों ने लापरवाही दिखाते हुए इसपर सवाल नहीं उठाए जिससे यह घोटाला हुआ, मीडिया रिपोर्ट्स में घोटाले को लेकर PNB की तरफ से की गई आंतरिंक जांच रिपोर्ट का हवाला दिया गया है

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नई दिल्ली। पंजाब नैशनल बैंक (PNB) में हुए 13 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले को लेकर नई जानकारी निकलकर सामने आई है, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक घोटाला सामने आने से पहले बैंक में हो रहा घाल-मेल कई अधिकारियों के सामने था लेकिन अधिकारियों ने लापरवाही दिखाते हुए इसपर सवाल नहीं उठाए जिससे यह घोटाला हुआ, मीडिया रिपोर्ट्स में घोटाले को लेकर PNB की तरफ से की गई आंतरिंक जांच रिपोर्ट का हवाला दिया गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बैंक ने घोटाले की जांच के लिए अपने अधिकारियों की आंतरिक टीम बनाई थी और उस टीम ने 162 पन्नों की जांच रिपोर्ट सौंपी है उसमें करीब 54 अधिकारियों की लापरवाही की बात कही गई है जिनकी वजह से यह घोटाला हो सका है। 54 अधिकारियों बैंक में काम करने वाले कलर्क से लेकर विदेशी शाखाओं के मैनेजर शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक घोटाले की जांच कर रही एजेंसियां बैंक के जिन 8 कर्मचारियों या अधिकारियों की जांच कर रही है उनके नाम भी 54 लोगों की लिस्ट में शामिल हैं। रिपोर्ट में PNB की मैनेजमेंट की खामियां और बैंक के काम करने के तरीकों पर सवाल उठाए गए हैं।

घोटाले के आरोपी मुंबई की ब्रेडी हाउस शाखा के डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी पर आरोप है कि उसने ट्रांजेक्शन के लिए बैंक के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल नहीं किया, जबकि नियमों के मुताबिक बैंक के सॉफ्टवेयर से ही ट्रांजेक्शन जरूरी है।

जांच रिपोर्ट में बैंक के इंटरनेशनल बैंकिंग डिपार्टमेंट और आईटी डिपार्टमेंट पर भी सवाल उठाए गए हैं, उनपर आरोप है कि उन्होंने समाकलन में देरी की और 2016 में बैंक की तरफ से जारी की गई एडवाजरी के मुताबिक काम नहीं किया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि किसी एक ने भी सवाल उठाया होता तो शुरुआत में ही इस घोटाले पर से पर्दाफाश हो सकता था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि लापरवाही सिर्फ एक शाखा तक ही सीमित नहीं रही बल्कि आगे भी जारी रही। 2010 से लेकर 2017 के दौरान ब्रेडी हाउस शाखा की जांच के लिए 10 बार वरिष्ठ जांच अधिकारियों की टीम गई लेकिन किसी भी अधिकारी ने सवाल नहीं उठाए।

रिपोर्ट में PNB के मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय के काम करने के तरीके पर भी सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक नीरव मोदी की कंपनी के साथ डील करने की वजह से ब्रेडी हाउस शाखा को खास दर्जा प्राप्त था, वित्त वर्ष 2016-17 के 12 महीने के दौरान इस शाखा के इंपोर्ट और एक्सपोर्ट लेनदेन में पिछले 2 साल के मुकाबले 50 प्रतिशत ग्रोथ देखने को मिली थी, इतनी बड़ी ग्रोथ पर ऑडिट टीम का ध्यान दिया जाना जरूरी था।

ब्रेडी हाउस शाखा का डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी एक मध्यम दर्जे का अधिकारी था और नियमों के मुताबिक उसे सिर्फ 25 लाख रुपए तक के लेनदेन को मंजूरी देने की इजाजत थी लेकिन उसे असीमित अधिकार दे दिए गए थे और वह करोड़ों डॉलर के लेनदेन की इजाजत देता था।

पंजाब नैशनल बैंक की पॉलिसी के मुताबिक कोई भी अधिकारी एक बैंक शाखा में 3 साल से ज्यादा काम नहीं कर सकता जबकि शेट्टी लगातार 7 साल तक ब्रेडी हाउस शाखा में काम करता रहा, उसको 3 ट्रांस्फर ऑर्डर भी भेजे गए थे लेकिन इसके बावजूद वह वहां काम करता रहा।

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