Six Charts: भारत का अफ्रीका के साथ कैसा है व्यापारिक रिश्ता, जानिए जरूरी बातें
तीसरे भारत-अफ्रीका शिखर सम्मेलन का आज दूसरा दिन है। इस सम्मेलन में अफ्रीका और भारत के उच्च अधिकारी, पॉलिसी मेकर्स और एक्सपर्ट्स भाग ले रहे हैं।
नई दिल्ली। तीसरे भारत और अफ्रीका शिखर सम्मेलन का आज दूसरा दिन है। इस सम्मेलन में दोनों देशों के उच्च अधिकारी, पॉलिसी मेकर्स और एक्सपर्ट्स भाग ले रहे हैं। भारत ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता की पुरजोर मांग की और कहा कि करीब 2.5 अरब की आबादी रखने वाले इन दो देशों को विश्व निकाय में लंबे समय तक उनके हक से वंचित नहीं रखा जा सकता । इस सम्मेलन का मुख्य बिंदु पब्लिक हेल्थ, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार, आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन हैं। इसके अलावा शिखर सम्मेलन में दोनों देशों के बीच कारोबार को बढ़ावा और निवेश बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। दरअसल भारत और अफ्रीका के बीच द्वीपक्षीय व्यापार बढ़ तो रहा है, लेकिन अभी भी अन्य बड़े देशों से यह पीछे है।
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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मुताबिक भारत से अफ्रीका को होने वाला निर्यात 2008 से 2013 के बीच 100 फीसदी से ज्यादा बढ़ा है। इसका मतबल साफ है कि भारत अब अफ्रीकी बाजारों में अमेरिका से आगे निकल गया है। हालांकि, अफ्रीका की मजबूत आर्थिक विकास का फायदा भारत से ज्यादा चीन को हुआ है। अफ्रीका से भारत में इंपोर्ट 2008 से 2013 के बीच तेजी से 80 फीसदी से अधिक बढ़ा है। जबकि अमेरिका में उप-सहारा अफ्रीका से इंपोर्ट में भारी गिरावट दर्ज की गई है। अफ्रीका से अमेरिका के इंपोर्ट में कमी हाइड्रोलिक टेक्नोलॉजी के विकास की वजह से आई है। दरअसल इस टेक्नोलॉजी के विकास से अफ्रीकी तेल और गैस इंपोर्ट पर अमेरिका की निर्भरता घटी है।
भारत में रॉ मेटिरियल एक्सपोर्ट पर अफ्रीका का दबदबा
भारत और अफ्रीका के बीच व्यापार संबंध प्रभावशाली होने के बावजूद, दोनों देशों के बीच इंपोर्ट-एक्सपोर्ट में बड़ा असंतुलन है। अफ्रीका बड़े पैमाने पर रॉ-मैटेरियल जैसे क्रूड ऑयल, गोल्ड, रॉ कॉटन और कीमती पत्थर एक्सपोर्ट करता है। जबकि, भारत उप-सहारा अफ्रीका को ज्यादातर ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स और दूरसंचार उपकरणों जैसे हाई-एंड कंज्यूमर गुड्स एक्सपोर्ट करता है। यह असंतुलन अफ्रीका के प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भरता कम करने के लक्ष्य से बिल्कुल मेल नहीं खाता है। चीन, अमेरिका और यूरोपियन यूनियन के साथ व्यापारिक संबंधों में भी यह मुद्दा मुख्य है।
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भारत में अफ्रीकी एफडीआई तेजी से बढ़ा
ध्यान रखने वाली बात यह है कि भारत में अफ्रीका का एफडीआई बढ़ रहा है। 2010 से चीन और अमेरिका के मुकाबले भारत में अफ्रीका का एफडीआई लगातार बढ़ रहा है। इसका मुख्य कारण मॉरीशस का भारत में एफडीआई का सबसे बड़ा स्त्रोत होना है। अफ्रीका में भारत का एफडीआई भी बढ़ा है। 2010 और 2012 के बीच भारतीय एफडीआई 11 फीसदी बढ़ा है। भारत के साथ मॉरीशस का अनुकूल कर संधि होने की वजह से वहां सबसे ज्यादा निवेश हुआ है।
Source: QUARTZ INDIA