जीएसटी परिषद ने नहीं लिया पेट्रोल-डीजल पर कोई फैसला, मोदी सरकार ने कहा कीमतों पर है हमारी नजर
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सरकार पेट्रोल और डीजल के दाम में वृद्धि पर नजर रखे हुए है।
नई दिल्ली। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की आज हुई 25वीं बैठक में पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी में शामिल करने पर कोई फैसला न होने के बाद पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सरकार पेट्रोल और डीजल के दाम में वृद्धि पर नजर रखे हुए है। हालांकि, उन्होंने उत्पाद शुल्क में कटौती को लेकर कुछ नहीं कहा। पेट्रोल और डीजल के दाम में लगातार हो रही तेजी के बीच उन्होंने यह बात कही।
दिल्ली में पेट्रोल का मूल्य आज बढ़कर 71.56 रुपए प्रति लीटर रहा, जो अगस्त 2014 के बाद सर्वाधिक है। मुंबई में भाव 80 रुपए के करीब पहुंच गया है। वहीं डीजल का मूल्य दिल्ली में 62.25 रुपए लीटर के उच्च स्तर पर पहुंच गया, जबकि मुंबई में स्थानीय कर या वैट अधिक होने के कारण 66.30 रुपए पर पहुंच गया है।
इससे पहले मीडिया में ऐसी खबरें आ रही थीं कि जीएसटी परिषद की बैठक में पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने पर कोई निर्णय हो सकता है, जिससे आम जनता को थोड़ी राहत मिलेगी। बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद की अगली बैठक में संभवत: पेट्रोलियम और अन्य छूट वाले उत्पादों को जीएसटी के तहत लाने पर विचार किया जाएगा।
पत्रकारों के सवालों के जवाब में प्रधान ने कहा कि केंद्र ने अक्टूबर में पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में दो रुपए प्रति लीटर की कटौती की थी। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों ने वैट (मूल्य वर्द्धित कर) में कटौती कर इसका अनुकरण किया। लेकिन कई अन्य को अभी यह करना है। मैं राज्यों से कर में कटौती का अनुरोध करूंगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या केंद्र उत्पाद शुल्क में कटौती करेगा, उन्होंने कहा कि हम कीमत स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। उन्होंने कहा कि दरों में संशोधन उनके मंत्रालय के अंतर्गत नहीं आता, यह वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आता है। हालांकि उन्होंने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया कि क्या उनके मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को उत्पाद शुल्क में कटौती का सुझाव दिया है।
पेट्रोल और डीजल के भाव 15 दिसंबर 2017 से बढ़ रहे हैं। उस दिन डीजल के दाम 58.34 रुपए लीटर था और एक महीने के बाद इसमें 3.91 रुपए लीटर की वृद्धि हुई है। इस दौरान पेट्रोल की कीमत 2.49 रुपए बढ़ा है। कच्चे तेल के दाम में तेजी से उत्पाद शुल्क में कटौती की मांग उठी है ताकि आम लोगों को कुछ राहत मिल सके।