नई दिल्ली: नए कारोबारी ऑर्डर में मजबूत वृद्धि के मद्देनजर देश में विनिर्माण क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार का रूख है और यह जून में तीन महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया। वहीं मुद्रास्फीति दबाव कम रहने से रिजर्व बैंक प्रमुख नीतिगत दर में कटौती कर सकता है। विनिर्माण क्षेत्र के प्रदर्शन का समग्र रूप से संकेत देने वाला निक्की मार्किट इंडिया मैनुफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) जून में बढ़कर 51.7 हो गया जो मई में 50.7 था। इसका कारण नए ऑर्डर में वृद्धि है। PMI के 50 से उपर रहने का मतलब विस्तार से है जबकि इसके नीचे यह संकुचन को व्यक्त करता है।
मार्किट की अर्थशास्त्री और रिपोर्ट तैयार करने वाली पालीयाना डी लीमा ने कहा, भारतीय कारखानों में 2016 के मध्य में उत्पादन और नए ऑर्डर के संदर्भ में अच्छी वृद्धि का रूख है लेकिन उत्पादकों में स्पष्ट रूप से तेजी नहीं देखी जा रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू बाजार लगातार वृद्धि को गति देने वाला मुख्य चालक बना हुआ है। मई में गिरावट के बाद नए विदेशी ऑर्डर जून में बढ़े। हालांकि उत्पादन में सतत वृद्धि और ऑर्डर में बढ़ोतरी रोजगार सृजन करने में विफल रहे हैं।
नीतिगत दर में कटौती के बारे में पालीयानी ने कहा, मुद्रास्फीति दबाव कम होने से रिजर्व बैंक के लिए आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए नीतिगत दर में कटौती की गुंजाइश है।
जून में मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने मुद्रास्फीति दबाव का हवाला देते हुए नीतिगत दरों को स्थिर बनाये रखा। हालांकि उन्होंने संकेत दिया कि अगर मानसून बेहतर रहने से मुद्रास्फीति कम होती है तो इस वर्ष नीतिगत दर में कटौती की जा सकती है।
उद्योग को उम्मीद है कि शीर्ष बैंक द्वारा नीतिगत दर में कटौती से निवेश बढ़ेगा। वित्त वर्ष 2015-16 में आर्थिक वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रही।
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