सीओएआई दूरसंचार क्षेत्र में भ्रामक संकट दिखाकर सरकार को ब्लैकमेल कर रही: जियो
रिलायंस जियो ने दूरसंचार सेवाप्रदाताओं के संगठन सीओएआई पर सरकार को ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया है।
नयी दिल्ली। रिलायंस जियो ने दूरसंचार सेवाप्रदाताओं के संगठन सीओएआई पर सरकार को ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया है। कंपनी ने बुधवार को कहा कि संगठन की ओर से हाल में सरकार को भेजे गए एक पत्र में दूरसंचार क्षेत्र में भ्रामक संकट बताया गया है और उसके पत्र का लहजा सरकार को 'धमकाने और ब्लैकमेल' करने वाला है।
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) द्वारा जियो की टिप्पणी का इंतजार किए बिना मंगलवार देर रात सरकार को पत्र भेजने पर कंपनी ने कड़ा एतराज जताया है। कंपनी ने संगठन के महानिदेशक राजन मैथ्यूज को कड़े शब्दों में पत्र लिखकर कहा है कि दो दूरसंचार सेवाप्रदाताओं के बाजार में विफल हो जाने से बाजार की प्रतिस्पर्धा पर और केंद्र सरकार के डिजिटल इंडिया लक्ष्य पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
कंपनी के आरोप के जवाब में मैथ्यूज ने कहा है, 'यह एक निजी मामला है और संगठन के सदस्यों को इसे सीओएआई के कामकाजी ढांचे के तहत सुलझाना चाहिए।' संगठन ने सरकार को यह पत्र हाल में उच्चतम न्यायालय द्वारा दूरसंचार कंपनियों की समायोजित सकल आय से जुड़े मामले में पिछला वैध चुकाने का आदेश देने और दूरसंचार क्षेत्र के संकट पर विचार करने के लिए सरकार द्वारा सचिवों की समिति बनाने के संबंध में लिखा है।
जियो ने उसकी टिप्पणी के बिना भेजे गए पत्र को 'भरोसा तोड़ने की गंभीर घटना' करार दिया है। साथ ही संगठन पर एकतरफा दृष्टिकोण के साथ-साथ पक्षपातपूर्ण तरीके से काम करने का भी आरोप लगाया है। जियो ने बुधवार को लिखे अपने पत्र में कहा, 'ऐसा प्रतीत होता है कि अन्य दो सदस्यों के कहने पर ही इस पत्र को भेजने का विचार कर लिया गया। सीओएआई का यह अनपेक्षित रवैया दिखाता है कि यह एक उद्योग संगठन नहीं बल्कि दो अन्य सेवाप्रदाताओं का प्रवक्ता भर है।'
जियो दूरसंचार क्षेत्र की सबसे नयी कंपनी है। कंपनी ने सीओएआई के पत्र की सामग्री और उसके लहजे से असहमति जतायी है। सीओएआई ने सरकार को लिखे अपने पत्र में कहा है कि केंद्र के तत्काल किसी तरह की राहत देने के अभाव में निजी क्षेत्र की तीन में से दो दूरसंचार सेवाप्रदाता कंपनियों एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को ‘अनपेक्षित संकट’ का सामना करना पड़ेगा। यह कंपनियां मौजूदा मोबाइल ग्राहकों के 63 प्रतिशत को सेवा मुहैया कराती हैं।